छठ पूजा विधि, महत्व एवं शुभ मुहूर्त

छठ पूजा विधि, महत्व एवं शुभ मुहूर्त

भारत को त्योहारों का देश कहा गया है। क्योंकि यहाँ लोग त्योहारों को बहुत ही उत्सुकता के साथ मनाते है | इस देश में मनाये जाने वाले हर त्योहर प्रकृति के प्रति समर्पण और धन्यवाद का भाव रखने की सीख देते है।

छठ पूजा भी इन्हीं त्योहारों में से एक है। यह त्योहर भारत के उत्तरी राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ में काफी धूम धाम से मनाया जाता है।

जबकि इस पर्व की विशेषता भारत के अन्य राज्यों में भी देखने को मिलती है। तो आएये इस लेख के माध्यम से हम छठ पूजा से जुड़ीं समस्त जानकारियों को जानने का प्रयास करेंगे।

छठ पूजा के बारे में

छठी माता कौन है ?

संसार की रचना करते समय परमपिता ब्रम्हा जी ने प्रकृति को 6 तत्वों में विभाजित किया था। इस छठवें तत्व को मातृ शक्ति का नाम दिया गया। जिसे हम लोग “ छठी माता “ के रूप में जानते है।

शास्त्रों के अनुसार छठी माता को संतानो की रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। छठी मैया सूर्य देव की बहन है इस कारण छठ पूजा में  भगवान सूर्य की पूजा की जाती है।

छठ पूजा व्रत

छठ पूजा का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है । इन चार दिनों में माता छठी और भगवान सूर्य देव की आराधना की जाती है। व्रती महिलाएँ 36 घंटों तक उपवास रखती है। तथा अपने पति व पुत्र की लम्बी आयु के लिए कामना करती है । 

वैसे तो यह त्यौहार बिहारवासियों के लिए बहुत ही महत्व रखता है लेकिन इसके साथ साथ इसे उत्तर प्रदेश, झारखंड तथा नेपाल के भी कई हिस्सों में भी मनाया जाता है।

प्रत्येक वर्ष यह त्यौहार अलग – अलग तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष छठ पूजा 2024 का यह पावन त्यौहार 05 नवंबर, दिन मंगलवार से प्रारम्भ होकर 08 नवंबर, दिन शुक्रवार तक मनाया जाएगा।

छठ पूजा की कथा

छठ पूजा से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब पांडवों ने अपना सारा राज्य जुए में हार दिया था, तो द्रौपदी ने छठ व्रत के विधि का पालन करते हुए उपवास किया था। जिसके प्रभाव से पांडवों को अपना खोया हुआ राज्य पाठ वापस मिल गया था।

इसके अलावा, यह भी मान्यता है कि सूर्यदेव की बहन छठी मइया हैं, जो संतान की रक्षा और उन्हें लंबी आयु प्रदान करती हैं। इसलिए छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव और छठी मइया दोनों की उपासना की जाती है।

प्रियंवद और मालिनी की कहानी

पुराणों के अनुसार, राजा प्रियंवद नामक राजा हुआ करते थे जिनकी कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए राजा के यहां यज्ञ का आयोजन किया।

महर्षि ने यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई गई खीर को प्रियंवद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए कहा। खीर के प्रभाव से रजा और रानी को पुत्र तो हुआ किन्तु वह मृत था। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे।

उसी समय भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं।उन्होंने राजा से कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं।

माता ने राजा को अपने पूजन का आदेश दिया और दूसरों को भी यह पूजन करने के लिए प्रेरित करने को कहा। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें शीघ्र ही पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

जिस दिन राजा ने यह व्रत किया था उस दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि थी। तभी से छठी मैय्या के पूजे जाने की परंपरा आरंभ हुई।

कर्ण ने की थी शुरुआत

महाभारत काल में कुंती पुत्र कर्ण को दानवीर माना जाता था। कर्ण सिर्फ माता कुंती के ही नहीं अपितु सूर्य देव के भी पुत्र थे। सूर्य देव की कर्ण पर विशेष कृपा थी। कर्ण नियमित रूप से प्रातः काल उठकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया करते थे। तभी से एक पर्व के रूप में सूर्य अर्घ्य की परंपरा का आरंभ हुआ।

इसके अलावा, कुंती और द्रौपदी के भी व्रत रखने का उल्लेख ग्रंथों में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि द्रौपदी के छठ पूजा करने के बाद ही पांडवों को उनका हारा हुआ सारा राजपाट वापस मिल गया था।

श्री राम और माता सीता ने भी रखा था व्रत

रामायण में भी छठ पूजा का वर्णन मिलता है। दरअसल, भगवान राम सूर्यवंशी कुल के राजा थे और उनके आराध्य एवं कुलदेवता सूर्य देव ही थे। इसी कारण से राम राज्य की स्थापना से पूर्व भगवान राम ने माता सीता के साथ कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन छठ पर्व मनाते हुए भगवान सूर्य की पूजा विधि विधान से की थी।

मार्कण्डेय पुराण में भी है वर्णन

मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि छठी मैय्या प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी हैं और इसके साथ ही भगवान सूर्य की बहन भी। छठी मैय्या को संतान सुख, संतान की दीर्घायु और सौभाग्य प्रदान करने वाली माता माना गया है।

जब बच्चे के जन्म के छठे दिन उसका छठी पूजन होता है तब इन्हीं माता का स्मरण किया जाता है। इनकी कृपा से न सिर्फ संतान को हर तरह की सुख सुविधा प्राप्त होती है बल्कि उसके जीवन में आने वाले कष्टों का अपने आप ही निवारण हो जाता है।

तो ये थी छठ पर्व की पावन कथा जिसे सुने बिना आपकी छठ पूजा अपूर्ण है। इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें, साथ ही कमेंट भी करें। धर्म और त्यौहारों से जुड़े ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

छठ पूजन विधि

छठ पूजा का व्रत चार दिनों का होता है और इसमें विशेष विधि-विधान से पूजा की जाती है:

पहला दिन (नहाय-खाय): छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है।

इस दिन व्रत रखने वाले लोग गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करके शुद्धि करते हैं और घर में शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन भोजन में कद्दू की सब्जी और चना दाल प्रमुख होती है।

दूसरा दिन (लोहंडा या खरना): पंचमी तिथि के दिन पूरे दिन का व्रत रखा जाता है और शाम के समय चावल, गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर छठी मइया को भोग अर्पित किया जाता है।

इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति केवल यह प्रसाद ग्रहण करते हैं और इसके बाद निराहार व्रत रखते हैं।

तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य): षष्ठी तिथि को व्रतधारी दिनभर बिना अन्न और जल के व्रत रखते हैं।

शाम के समय वे नदी, तालाब या किसी जलाशय के किनारे इकट्ठा होते हैं और डूबते सूर्य को जल में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं।

बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद रखकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। महिलाएँ  इस दिन नए वस्त्र धारण कर chhath vrat ki katha का श्रवणपान करती है।

चौथा दिन (उषा अर्घ्य): सप्तमी तिथि की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रतधारी पुनः जलाशय के किनारे जाते हैं और सूर्य भगवान को जल चढ़ाते हैं।

इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है और घर लौटकर प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इसके साथ ही छठ पूजा संपन्न होती है।

वर्ष 2024 में छठ पूजन का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष छठ पूजन का शुभ मुहुर्त 7 नवंबर 2024 को रात 12:41 बजे से शुरू होकर 8 नवंबर 2024 को रात 12:34 बजे तक रहेगा।

07 नवंबर 2024 को संध्या अर्घ्य का समय शाम 5:31 बजे निर्धारित है, जबकि 08 नवंबर 2024 को सुबह का अर्घ्य 6:38 बजे दिया जाएगा।

छठ पूजा सामग्री सूची

  • सिंदूर 
  • चावल 
  • धूपबत्ती 
  • चन्दन 
  • कपूर 
  • कलावा 
  • कुमकुम 
  • नारियल 
  • फूल व माला 
  • सुपारी 
  • मिट्टी के दिए 
  • तेल और बाती

फल – सब्जी

  • मूली 
  • शरीफा 
  • बड़ा वाला नींबू 
  • नाशपाती 
  • पत्ते सहित 7 गन्ने 
  • अदरक का पौधा 
  • हल्दी 
  • बैंगन 
  • सुथनी 
  • ऋतुफल 
  • सिंघाड़ा 
  • केले
  • आटा
  • चावल 
  • गेहूं 
  • अनाज 
  • शकरकंदी

छठ पूजा का मंत्र

इस दिन भगवान सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय निम्न मंत्रो का जप करने से सूर्य देवता का आशीर्वाद मिलता है –

  • ॐ मित्राय नम:
  • ॐ रवये नम:
  • ॐ सूर्याय नम:
  • ॐ भानवे नम:
  • ॐ खगाय नम:
  • ॐ घृणि सूर्याय नम:
  • ॐ पूष्णे नम:
  • ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
  • ॐ मरीचये नम:
  • ॐ आदित्याय नम:
  • ॐ सवित्रे नम:
  • ॐ अर्काय नम:
  • ॐ भास्कराय नम:
  • ॐ श्री सवितृ
  • सूर्यनारायणाय नम:
  •  

छठ पूजा से होने वाले लाभ

  • यह त्योहार कुल चार दिनों तक चलता है। षष्ठी तिथि के दिन भगवान सूर्य देव को शाम के समय अर्घ्य दिया जाता है। यही एक ऐसा त्यौहार जिसमे सूर्य भगवान को शाम के समय जल चढ़ाया जाता है। जिसे हिन्दू धर्म में संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।
  • मान्यता है कि भगवान सूर्यदेव की पूजा करने से सभी प्रकार के रोग मिटते है और सेहत में सुधार होता है। दोपहर के समय सूर्य भगवान को जल चढाने से यश और बल में वृद्धि होती है। और संध्या काल के समय जल चढाने से जीवन में चल रही सभी परेशानियों से राहत मिलती है।
  • छठ पूजा के समय सूर्य उपासना करने से सभी अटके हुए कार्य फिर से चलने लगते है। कोर्ट – कचहरी के कार्यों में भी सफलता मिलती है तथा आंखों की रोशनी भी तेज होती है।
  • सूर्य देवता को जल चढाते समय किरणों के तेजस्वी प्रभाव से रंग संतुलित हो जाते है तथा साथ ही मनुष्य के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है।
  • प्रातः काल: सुबह जल्दी उठकर भगवान सूर्य देव के दर्शन करने व उन्हें जल चढ़ाने से मनुष्य में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है तथा शरीर में भी स्फूर्ति का अनुभव होता है।
  • मान्यता है कि भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाते समय जल की धारा के बीच में से सूर्य को देखना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य के मन में सकारात्मक भाव उत्पन्न होते है।
  • हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान सूर्य देव को आत्मा का कारक माना जाता है। सूर्य देव केवल जल चढाने मात्र से ही अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते है और अपने भक्तों को अंधकार से निकालकर उचित मार्ग प्रदान करते है।
  • भगवान सूर्यदेव को जल चढाने से घर – परिवार में सम्मान में वृद्धि होती है।

निष्कर्ष

हमने इस आर्टिकल के माध्यम से छठ पूजा 2024 के बारें में काफी बाते जानी है। आज हमने छठ पूजा पूजन के फ़ायदों के बारे में भी जाना।

हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी।