शिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥
हिंदी अनुवाद
उनके जटाओं से बहने वाला पवित्र गंगा जल उनके कंठ को शुद्ध करता है,
उनके गले में सर्प हार के रूप में लटका हुआ है,
डमरू से डमट् डमट् की दिव्य ध्वनि गूंज रही है,
ऐसे भगवान शिव, जो तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सभी को समृद्धि और खुशहाली प्रदान करें।
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी_
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्जलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥
हिंदी अनुवाद
शिव की जटाओं से बहती गंगा आत्मा की पवित्रता और जीवन की धाराओं का प्रतिनिधित्व करती है।
उनकी जटाओं में गंगा का वास होने का अर्थ है कि वे समस्त संसार के पालनकर्ता और त्राता हैं।
उनके मस्तक पर ज्वलंत अग्नि उनकी शक्ति और संहारक रूप का प्रतीक है, जो अन्याय और अज्ञानता का अंत करती है।
वहीं, उनके सिर पर अर्धचंद्र उनके चिरकालीन स्वरूप और ब्रह्मांड की अनंतता को दर्शाता है।
धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
हिंदी अनुवाद
भगवान शिव की करुणा अपार है। उनकी दयालु दृष्टि से सारी आपदाएँ और विपत्तियाँ नियंत्रित होती हैं।
वे केवल संहारक ही नहीं, बल्कि पालक भी हैं, जो अपने भक्तों के जीवन में संतुलन और सौहार्द्र बनाए रखते हैं। शिव का संपूर्ण स्वरूप, जो दिव्य लोकों को अपनी पोशाक की तरह धारण करता है।
यह दर्शाता है कि वे केवल एक स्थान या समय से बंधे नहीं हैं—वे सर्वव्यापी हैं।
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥
हिंदी अनुवाद
शिव, जो सम्पूर्ण जीवन के रक्षक और पालनकर्ता हैं, वे अपनी असाधारण शक्ति और रहस्यमयी आभा के लिए पूजित हैं।
उनके गले में सुशोभित रेंगते हुए सर्प का फन लाल-भूरा है, जिस पर जड़ी मणि की अद्भुत चमक चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाती है।
यह प्रकाश, दिशाओं की देवियों के चेहरे पर विभिन्न रंगों की आभा बिखेरता है, जिससे उनकी दिव्यता और अधिक प्रकट होती है।
शिव का वस्त्र, जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बना है, उनके रौद्र और तामसिक स्वरूप का प्रतीक है, जो इस भौतिक संसार के मोह और माया से परे है।
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर_
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥
हिंदी अनुवाद
भगवान शिव हमें संपन्नता और समृद्धि प्रदान करें, उनके मस्तक पर चंद्रमा का मुकुट सुशोभित है।
उनके दिव्य जटाजूट में लाल रंग के नागों का हार बंधा हुआ है।
उनके चरणों का पायदान गहरे रंग का हो गया है, जो देवताओं के सम्मान और समर्पण को दर्शाता है।
इंद्र, विष्णु और अन्य देवताओं के मस्तकों से गिरती हुई फूलों की धूल उनके चरणों पर गिरती है।
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा_
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥
हिंदी अनुवाद
भगवान शिव की उलझी जटाओं से हमें सिद्धि और समृद्धि प्राप्त हो।
उन्होंने अपने मस्तक पर प्रज्वलित अग्नि की चिंगारी से कामदेव को नष्ट किया था।
सारे देवताओं और देवलोकों के स्वामी शिवजी को आदरपूर्वक पूजा जाता है।
उनके मस्तक पर अर्ध-चंद्र की सुंदरता से उनकी महिमा और बढ़ती है।
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्_
धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥
हिंदी अनुवाद
भगवान शिव में मेरी गहरी रुचि है, जिनके तीन नेत्र हैं।
उन्होंने शक्तिशाली कामदेव को अपनी प्रज्वलित अग्नि में भस्म कर दिया।
उनके भीषण मस्तक पर “डगद् डगद्” की ध्वनि के साथ जलने वाली अग्नि है।
शिवजी ही ऐसे कलाकार हैं जो पर्वतराज की पुत्री पार्वती के स्तनों पर सजावटी रेखाएं खींचने में निपुण हैं।
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्_
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥
हिंदी अनुवाद
भगवान शिव हमें संपन्नता प्रदान करें।
वे ही पूरे संसार का भार उठाते हैं।
उनकी शोभा चंद्रमा से है,उनके पास अलौकिक गंगा नदी का प्रवाह है।
उनकी गर्दन अमावस्या की अर्धरात्रि की तरह काली है, जो बादलों की पत्तों से ढकी हुई प्रतीत होती है।
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा_
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥९॥
हिंदी अनुवाद
मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूँ, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से सुसज्जित है।
उनका कंठ खिले नीले कमल के फूलों की गरिमा से लटकता हुआ प्रतीत होता है।
उनका कंठ ब्रह्माण्ड की कालिमा जैसा दिखता है।
वे ही कामदेव को नष्ट करने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया।
उन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया और बलि का अंत किया।
उन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया और हाथियों को मारने वाले हैं।
वे ही मृत्यु के देवता यम को पराजित करने वाले हैं।
अखर्व(अगर्व) सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥
हिंदी अनुवाद
मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूँ, जिनके चारों ओर मधुमक्खियाँ उड़ती रहती हैं।
यह मधुमक्खियाँ शुभ कदंब के फूलों के सुंदर गुच्छे से आने वाली शहद की मधुर सुगंध के कारण होती हैं।
वे ही कामदेव को नष्ट करने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया।
उन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया और बलि का अंत किया।
उन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया और हाथियों को मारने वाले हैं।
वे ही मृत्यु के देवता यम को पराजित करने वाले हैं।
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल_
ध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥
हिंदी अनुवाद
शिव, जिनका तांडव नृत्य नगाड़े की डिमिड डिमिड तेज आवाज के साथ लय में है।
उनके महान मस्तक पर अग्नि है, जो नाग की सांस के कारण फैल रही है।
यह अग्नि गरिमामय आकाश में गोल-गोल घूमती हुई दिखाई देती है।
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्_
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥१२॥
हिंदी अनुवाद
मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, जो शाश्वत शुभ देवता हैं।
वे सम्राटों और सामान्य लोगों के प्रति समान दृष्टि रखते हैं।
वे घास के तिनकों और कमल के फूलों के प्रति, मित्रों और शत्रुओं के प्रति भी समभाव रखते हैं।
वे सबसे मूल्यवान रत्नों और धूल के ढेर के प्रति समान दृष्टिकोण रखते हैं।
वे सांप और हार के प्रति, तथा विश्व के विभिन्न रूपों के प्रति भी एक समान भाव रखते हैं।
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्॥
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन्॥
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
हिंदी अनुवाद
मैं कब प्रसन्न हो सकता हूं, जब मैं अलौकिक नदी गंगा के निकट गुफा में निवास करूँ।
जब मैं अपने हाथों को हर समय बांधकर अपने सिर पर रखूँ।
जब मैं अपने दूषित विचारों को धोकर दूर कर दूँ और शिव मंत्र का उच्चारण करूँ।
जब मैं अपना जीवन महान मस्तक और जीवंत नेत्रों वाले भगवान शिव को समर्पित करूँ।
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।।।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः॥१४॥
हिंदी अनुवाद
नीलिम्प (देवताओं के स्वामी) जिनके मुकुट में नागराज और कदंब के फूलों की माला सजी है,
जिनका शरीर मधु जैसी सुगंध से महक रहा है,
वे दिन-रात हमारे मन को आनंदित करने वाली शक्ति प्रदान करें।
और हमें उनके पवित्र चरणों की शरण मिले, जो उनके दिव्य तेज से प्रकाशित हैं।
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिन्तनम् ॥१५॥
हिंदी अनुवाद
जो व्यक्ति इस उत्तम स्तोत्र को नित्य पढ़ता, याद करता और कहता है।
वह निरंतर शुद्धि प्राप्त करता है।
वह भगवान (शिव) और गुरु के प्रति गहरी भक्ति प्रकट करता है और उसे कोई अन्य मार्ग नहीं चाहिए।
भगवान शिव का चिंतन शरीरधारियों के सभी मोहों को नष्ट करने वाला है।
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः
शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥१६॥
हिंदी अनुवाद
जो व्यक्ति पूजा के समाप्ति के समय, प्रदोष काल में, दशानन (रावण) द्वारा गाए गए इस शिव स्तोत्र का पाठ करता है, उसे भगवान शम्भु (शिव) स्थिर, हाथी-घोड़े से युक्त रथ सहित समृद्धि और सदा प्रसन्न रहने वाली लक्ष्मी प्रदान करते हैं।