नवरात्रि की नवमी कब है?

नवरात्रि की नवमी कब है?

नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। लेकिन इस बार पंचमी तिथि का क्षय होने के कारण नवरात्रि 8 दिन के हैं। नवरात्रि 9 की बजाय 8 दिनों के होने के कारण लोगों के बीच अष्टमी व नवमी तिथि को असमंजस की स्थिति है। 

पंचांग के अनुसार, नवमी तिथि 05 अप्रैल 2025 को रात 07 बजकर 26 मिनट पर प्रारंभ होगी और 06 अप्रैल 2025 को रात 07 बजकर 22 मिनट पर समापन होगा। राम नवमी 06 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएगी।

नवमी पूजा की सामग्री

महानवमी पर पूजा करने के लिए पूजा सामग्री (Puja Samagri) में लाल कपड़ा, सिंदूर, रोली, घी, मिठाई, धूप, दीप, नारियल, शृंगार का सामान, कपूर, लाल चुनरी, लौंग, सुपारी, पान और हल्दी की गांठ शामिल की जाती है। जो भक्त इस दिन हवन कर रहे हैं वे हवन कुंड, जौ, गूलर की छाल, आम की लकड़ी, तिल, पंचमेवा, नारियल, नवग्रह की लकड़ियां, चंदन की लकड़ी, इलायची और अक्षत को सामग्री रूप में ले सकते हैं।

कंजक पूजन (Kanjak Pujan) करने की सामग्री में फूल, रोली, फल, चुनरी, अक्षत, परात, फल, कलावा, पानी और कपड़ा आदि रखा जाता है। कन्याओं को कंजक खिलाने के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है। आमतौर पर कन्याओं को पूरी, चना। हलवा और कोई उपहार कंजक की थाली में डालकर दिए जाते हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025 नवमी पूजा सामग्री

नवमी पूजा सामग्री लाल कपड़ा घी रौली सिंदूर अक्षत फूल फल मिष्ठान धूप-दीप नारियल गंगाजल श्रृंगार का सामान कपूर लाल चुनरी हल्दी की गांठ लौग सुपारी पान आदि
हवन सामग्री हवन कुंड जौ पंचमेवा गूलर की छाल आम की लकड़ी तिल लौंग अश्वगंधा कपूर घी शक्कर इलायची अक्षत पान सूखा नारियल कलावा नवग्रह की लकड़ियां चंदन की लकड़ी आदि
कन्या पूजन सामग्री गंगाजल कलावा फूल रोली फल मिठाई चुनरी अक्षत पैर धोने के लिए परात कपड़ा और पानी आदि भोज के लिए नारियल पूरी चना हलवा भेंट के लिए पैसे या उपहार

नवमी की पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहन लें। पूजा स्थल पर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा या तस्वीर में फूलों की माला अर्पित करें। मां को फूल, अक्षत, सिंदूर, चंदन, सुहाग का सामान और भोग आदि अर्पित करें।

हवन के लिए सबसे पहले हवन स्थल की सफाई करके वहां गंगाजल छिड़कें। साथ ही हवनकुंड को भी साफ कर लें। हवन कुंड में आम की लकड़ियां सजाएं। लकड़ियों के बीच में कपूर और घी डालें। सूखे नारियल में कलावा बांधकर हवन कुंड में रखें। पान का पत्ता, लौंग, सुपारी आदि सामग्रियों को डालकर मंत्रों जाप करते हुए नवदुर्गा, नवग्रह और त्रिदेव समेत सभी देवी-देवताओं को आहुति दें। इसके बाद माता रानी की आरती करें और फिर कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएं। कन्याओं को विदा करने से पहले उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें कुछ उपहार जरूर दें।

क्या है नवमी पूजा का महत्व?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवमी के दिन कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन हवन करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पितृ दोष भी समाप्त होता है। इस दिन किए गए दान-पुण्य का भी विशेष फल मिलता है।

चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पूजा शक्ति, साहस, और विजय की प्रतीक मानी जाती है। यह पर्व जीवन में किसी भी प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन, उन्नति, और सफलता की प्राप्ति के लिए समर्पित है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करके भक्त अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति करते हैं। नवरात्रि के समय को विशेष रूप से ध्यान, उपवास, और साधना के लिए आदर्श माना जाता है। भक्त इस समय उपवास रखते हैं, मंत्र जाप करते हैं, और देवी माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा विधि का पालन करते हैं। यह समय आत्मिक शुद्धि, मानसिक शांति और शरीर की ताकत को बढ़ाने के लिए भी बहुत अच्छा माना जाता है।

कितने साल की कन्या का पूजन करना शुभ माना जाता है?

शास्त्रों के अनुसार, 2 से 9 साल तक की कन्याओं का पूजन करना शुभ माना जाता है। 2 से 9 साल तक सभी कन्याओं का अलग अलग महत्व है इस प्रकार है।

  • 2 वर्ष की कन्या को कौमारी कहते हैं। इनका पूजन करने से व्यक्ति को दुख और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है।
  • 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है। उन वर्ष की कन्या का पूजन करने से परिवार का कल्याण होता है।
  • 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी कहते हैं। इनके पूजन से सुख समृद्धि बनी रहती है।
  • 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी कहते हैं इनका पूजन करने से व्यक्ति को सभी रोग खत्म होते हैं।
  • 6 वर्ष की कन्या को कालिका कहते हैं। इनका पूजन करने से व्यक्ति का ज्ञान बढ़ता है।
  • 7 वर्ष की कन्या को चंडिका कहते हैं। इनका पूजन करने से व्यक्ति को ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • 8 वर्ष की कन्या को शांभवी कहते हैं। इनका पूजन करने से व्यक्ति की लोकप्रियता बढ़ती है।
  • 9 वर्ष की कन्या को मां दुर्गा का ही स्वपुर माना जाता है। इनका पूजन करने से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व

 नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। यह नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन किया जाता है। कन्या पूजन में नौ छोटी लड़कियों को भोजन कराया जाता है और दक्षिणा आदि देकर सम्मानपूर्वक विदा किया जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इन नौ देवियों को मां दुर्गा के नौ स्वरूप माने जाते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसके साथ ही कन्या पूजन कन्याओं के सम्मान का भी प्रतीक है।

कन्या पूजन की विधि

  • कन्या पूजन से एक दिन पहले कन्याओं को निमंत्रण देकर आएं। फिर जब वह आपके घर आएं तो उनका आदर सत्कार के साथ स्वागत करें।
  • सबसे पहले साफ जल से उनके पैर स्वच्छ करें। फिर उनके पैर साफ कपड़े से पोंछ दें। पैर छूकर आशीर्वाद लें। कन्याओं के पैर छूने से पापों का नाश होता है।
  • इसके बाद सभी कन्याओं का लाल रंग का आसन पर बैठाएं। इसके बाद उन्हें कुमकुम से तिलक करें और सभी को कलावा बांधे।
  • इसके बाद कन्याओं को हलवा, काले चने और पूरी का भोग लगाएं। कन्याओं का संख्या कम से कम 9 होनी चाहिए। बाकी आप अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्या पूजन कर सकते हैं।
  • इसके बाद कन्याओं को भोजन कराने के बाद दक्षिणा जरुर दें। अंत में जाते समय कन्याओं के हाथ में कुछ अक्षत दें और फिर मां दुर्गा के नाम के जयकारा लगाते हुए कन्याओं से वह अक्षत आपके ऊपर डालने के लिए कहें।
  • अंत में सभी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और हंसी खुशी से कन्याओं के विदा करें।

नवमी कन्या पूजन मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त- 04:34 ए एम से 05:20 ए एम
  • प्रातः सन्ध्या- 04:57 ए एम से 06:05 ए एम
  • अभिजित मुहूर्त- 11:58 ए एम से 12:49 पी एम

कन्या पूजन मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः।।

ॐ दुं दुर्गायै नमः।।

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