एक ऐसा मंदिर, जहाँ नहीं हैं कोई भगवान
दुनिया में ऐसे कई मंदिर है जहाँ देवी – देवताओं की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जहाँ आपको किसी भी देवी देवताओं की मूर्ति नहीं मिलेगी। बावजूद इसके इस मंदिर को देखने वालों की संख्या लाखों में है। इस मंदिर का नाम “ लोटस टेम्पल ” है जोकि भारत की राजधानी दिल्ली में स्थापित है। कमल के आकार में बनी इस भव्य इमारत को 1986 में बनाया गया था, और इसकी खूबसूरती के कारण इसे ’20वीं सदी का ताजमहल’ भी कहा जाता है। भारतीय परंपराओं में कमल शांति, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है, जो इस मंदिर की अद्भुत वास्तुकला को और भी खास बनाता है।
किसके द्वारा बनवाया गया ?
लोटस टेंपल का डिज़ाइन पर्शियन आर्किटेक्ट फरीबर्ज सहबा द्वारा तैयार किया गया था और इसका निर्माण बहाई धर्म के संस्थापक बहा उल्लाह की प्रेरणा से हुआ था। इस मंदिर का मकसद किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है; यह सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है, जो यहां आकर शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव करते हैं।
लोटस टेंपल की वास्तुकला
लोटस टेंपल की डिज़ाइन कमल के फूल से प्रेरित है, जो शुद्धता और शांति का प्रतीक है। मंदिर में कुल 27 संगमरमर की पंखुड़ियाँ हैं, जिन्हें तीन-तीन के समूह में नौ ओर लगाया गया है। ये सभी पंखुड़ियाँ मिलकर कमल की आकृति बनाती हैं।
मंदिर का मुख्य हॉल बहुत विशाल है, जहां एक साथ 2,500 लोग बैठ सकते हैं। इसकी ऊंचाई लगभग 34 मीटर है और इसका व्यास 70 मीटर है। इस मंदिर को बनाने में सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया है, जिसे ग्रीस के पेंटेली पहाड़ों से लाया गया था।
लोटस टेम्पल की खासियत
संगमरमर की 27 पंखुड़ियों से बना यह मंदिर आधे खिले कमल की तरह दिखाई देता है और तीन चक्रों में व्यवस्थित है। चारों ओर से 9 द्वारों से घिरे इस मंदिर का विशाल हॉल 40 मीटर ऊँचा है, जिसमें एक साथ लगभग 2,500 लोग बैठ सकते हैं। 2001 की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोटस टेंपल दुनिया की सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक था।
धार्मिक महत्व
लोटस टेंपल बहाई धर्म के प्रमुख सिद्धांत “मानवता की एकता” का प्रतीक है। यहां किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के लोग आकर प्रार्थना और ध्यान कर सकते हैं। मंदिर में किसी भी प्रकार की मूर्ति, तस्वीर या धार्मिक चिह्न नहीं है। यहां कोई वेदी या पल्पिट भी नहीं है। यह बहाई धर्म की उस मान्यता को दर्शाता है, जिसमें सभी धर्मों की एकता और ईश्वर की पूजा को महत्व दिया जाता है।
लोटस टेंपल घूमने की जानकारी
स्थान: लोटस टेंपल, बहापुर गांव, नेहरू प्लेस के पास, नई दिल्ली
निकटतम मेट्रो स्टेशन: कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन (लगभग 500 मीटर की दूरी पर)
समय:
सर्दियों में – सुबह 9:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक
गर्मियों में – सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक
मंदिर सोमवार को बंद रहता है।
प्रवेश शुल्क: कोई टिकट नहीं, प्रवेश निःशुल्क है।
महत्वपूर्ण निर्देश
मंदिर के अंदर शांति बनाए रखें।
मोबाइल फोन या कैमरे का उपयोग हॉल के अंदर नहीं कर सकते।
जूते बाहर ही उतारने पड़ते हैं।
लोटस टेंपल न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह अपनी अनोखी वास्तुकला और शांति के माहौल के कारण पर्यटकों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है। यदि आप दिल्ली में हैं, तो इसे देखने ज़रूर जाएं।
लोटस टेंपल कैसे पहुंचे?
दिल्ली में लोटस टेंपल पहुंचना बहुत आसान है। आप मेट्रो, बस, कैब या ऑटो से यहां आ सकते हैं।
मेट्रो द्वारा:
निकटतम मेट्रो स्टेशन कालकाजी मेट्रो स्टेशन (वायलेट लाइन) है। यहां से लोटस टेंपल केवल 10-15 मिनट की पैदल दूरी पर है।बस द्वारा:
दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की कई बसें लोटस टेंपल के पास तक जाती हैं। आप बस से आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।कैब और ऑटो द्वारा:
दिल्ली में ओला, उबर या स्थानीय ऑटो से भी लोटस टेंपल आसानी से पहुंचा जा सकता है।
लोटस टेंपल के आसपास घूमने की जगहें
लोटस टेंपल के पास कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं, जहां आप घूमने जा सकते हैं:
इस्कॉन मंदिर (1.5 किमी)
भगवान कृष्ण को समर्पित यह भव्य मंदिर अपनी सुंदर मूर्तियों और आध्यात्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।हुमायूं का मकबरा (5 किमी)
यह मुगल वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। इसे UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।इंडिया गेट (10 किमी)
यह एक प्रसिद्ध युद्ध स्मारक है, जो भारतीय सैनिकों की शहादत को समर्पित है। शाम के समय यहां की रौशनी बहुत सुंदर लगती है।कुतुब मीनार (12 किमी)
यह भारत का एक ऐतिहासिक प्रतीक और UNESCO विश्व धरोहर स्थल है। इसकी ऊंचाई लगभग 73 मीटर है।
लोटस टेंपल देखने के बाद ये जगहें आपकी यात्रा को और भी यादगार बना सकती हैं।