महिषासुरमर्दिनि स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते

गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।॥

भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥

हिंदी अनुवाद 

हे पर्वतराज हिमालय की परम पावन कन्या! जो पृथ्वी को आनंदमय करती हैं, संपूर्ण संसार को अपनी ममता से हर्षित रखती हैं। जिनकी महिमा को नंदिगण साष्टांग प्रणाम करते हैं, जो विंध्याचल के उच्च शिखरों पर गर्व से विराजमान हैं। भगवान विष्णु की क्रीड़ाओं की साक्षी, उन्हें प्रसन्न करने वाली, और देवताओं के राजा इन्द्र द्वारा पूजित।

हे शिवजी की अर्धांगिनी! जिनका परिवार अनंत है, जो समस्त जगत को ऐश्वर्य और समृद्धि का वरदान देती हैं। महिषासुर का अंत करने वाली, परम शक्तिशाली, और सदा सुहागन माता पार्वती! आपकी महिमा अपरंपार है।

हे महिषासुरमर्दिनी! हे शिव की रमणीय जटाओं की सुशोभिता! आपकी जय हो, जय हो!

सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते

त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते

दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥

हिंदी अनुवाद 

देवराज इन्द्र को समृद्धि और शक्ति प्रदान करने वाली, दुर्धर और दुर्मुख जैसे दुष्ट दैत्यों का संहार करने वाली, सदा आनंदित रहने वाली, तीनों लोकों की पालनकर्ता और पोषक, जो भगवान शिव को संतुष्ट रखती हैं, पापों को नष्ट करती हैं और घोर गर्जना के साथ दैत्यों पर प्रचंड क्रोध प्रकट करती हैं।

आप मदान्धों के गर्व को हर लेती हैं, अधर्म और अनाचार से दूर रहने वाले मुनियों पर भी जब उचित हो क्रोध करती हैं, और जो समुद्र की कन्या महालक्ष्मी के रूप में पूजित हैं।

हे महिषासुर का नाश करने वाली, भगवान शिव की परम प्रिय पत्नी, देवी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो!

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते

शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ।

मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥

हिंदी अनुवाद 

हे जगत की आदिशक्ति! जो मातृस्वरूपा हैं, कदंब के हरे-भरे वनों में प्रेमपूर्वक निवास करती हैं। जो सदा संतुष्ट और प्रसन्नचित्त रहती हैं, और अपने हास-परिहास से समस्त लोकों को आनंदित करती हैं। पर्वतों में श्रेष्ठ, हिमालय की ऊँची चोटियों पर स्थित अपने दिव्य भवन में विराजमान, मधु से भी अधिक मधुर स्वभाववाली, जिनके रूप और व्यवहार में असीम सौम्यता है।

आप ही वह हैं जिन्होंने मधु और कैटभ जैसे दैत्यों का संहार किया, महिषासुर का विदारण कर संसार को दुष्टता से मुक्त किया, और अपने रासक्रीड़ा में मग्न होकर देवों और ऋषियों का हृदय मोहित किया।

हे महिषासुरमर्दिनी, हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी पार्वती! आपकी जय हो, जय हो!

अयि निजहुंकृतिमात्रनिराकृतधूम्रविलोचनधूम्रशते

समरविशोषितरोषितशोणितबीजसमुद्भवबीजलते ।

शिवशिवशुम्भनिशुम्भमहाहवतर्पितभूतपिशाचरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥४॥

हिंदी अनुवाद 

हे माँ, जिन्होंने अपने केवल हुंकार से धूम्रलोचन और धूम्र जैसे सैकड़ों असुरों को भस्म कर दिया, जो युद्धभूमि में क्रोधित रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न रक्तबीज समूहों का रक्त पीकर उन्हें समाप्त कर देती हैं। शुम्भ और निशुम्भ जैसे दैत्यों के महायुद्ध में विजय प्राप्त कर आपने भगवान शिव के भूत-प्रेतों और पिशाचों को तृप्त किया, जो आपके प्रति अपार प्रेम और अनुराग रखते हैं।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप ही शिव की परम प्रिय पत्नी, महाशक्ति पार्वती हैं! आपकी महिमा अनंत है। आपकी जय हो, जय हो!

अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते

रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ।

निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥

हिंदी अनुवाद 

हे देवी, जिन्होंने गजाधिपति (हाथियों के राजा) के बिना सूँड़ वाले धड़ को काटकर सैकड़ों टुकड़े कर दिए, और चण्ड-मुण्ड जैसे सेनापति दैत्यों को अपने शक्तिशाली भुजदंड से मारकर चूर-चूर कर दिया। आप शत्रुओं के हाथियों के गण्डस्थल को अपने प्रचंड पराक्रम से नष्ट करने वाली हैं, और अत्यधिक कुशलता से सिंह पर आरूढ़ होकर युद्ध में विजय प्राप्त करती हैं।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की परम प्रिय पत्नी हैं, जो शौर्य और शक्ति की प्रतीक हैं! आपकी जय हो, जय हो!

अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते

चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ।

दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥

हिंदी अनुवाद 

हे देवी, आप रणभूमि में मदोन्मत्त शत्रुओं का वध कर अदम्य और पूर्ण शक्ति धारण करने वाली हैं। आप चातुर्य से परिपूर्ण विचारशील लोगों में श्रेष्ठ और गंभीर कल्पनाओं वाले प्रमथाधिपति भगवान शंकर को अपने दूत के रूप में भेजती हैं।

आप दूषित इच्छाओं और कुत्सित विचारों वाले दुर्बुद्धि दानवों के दूत आपके अद्भुत स्वरूप और शक्ति के समक्ष तिनके के समान बिखर जाते हैं।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, आपकी महिमा अनंत है! आपकी जय हो, जय हो!

अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे

त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ।

दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ७ ॥

हिंदी अनुवाद 

हे देवी! आप शरणागत शत्रुओं की स्त्रियों के वीर पतियों को अभय प्रदान करने वाली, अपने हाथ की शोभा से सज्जित हैं। तीनों लोकों को पीड़ित करने वाले दैत्य शत्रुओं के मस्तक पर प्रहार करने के लिए तेजोमय त्रिशूल धारण करने वाली हैं।

आपकी उपस्थिति से देवताओं की दुंदुर्भि से निकलने वाली ‘दुम्-दुम्’ ध्वनि समस्त दिशाओं में बार-बार गुंजित होती है, जो आपके शक्ति और भक्ति का प्रतीक है।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी महिमा और शक्ति अद्वितीय है! आपकी जय हो, जय हो!

धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके

कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ।

कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥

हिंदी अनुवाद 

हे देवी! आप समरभूमि में धनुष धारण कर अपने शरीर को केवल हिलाने मात्र से शत्रु दल को कम्पित कर देती हैं। स्वर्ण के समान पीले रंग के तीर और तरकश से सुसज्जित, आप भीषण योद्धाओं के सिर काटकर रणभूमि में विजय प्राप्त करती हैं।

आप चारों प्रकार की सेनाओं—हाथी, घोड़ा, रथ, और पैदल—का संहार करके रणभूमि में अनेक प्रकार की शब्दध्वनि उत्पन्न करने वाली हैं, जो आपकी अद्भुत शक्ति और कौशल को प्रकट करती है।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी महिमा और वीरता की कोई सीमा नहीं, आपकी जय हो, जय हो!

सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते

कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ।

धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥

हिंदी अनुवाद 

हे देवी, आप देवांगनाओं के तत-था-थेयि-थेयि आदि शब्दों से युक्त भावमय नृत्य में मग्न रहने वाली हैं। कुकुथा और अन्य विभिन्न मात्राओं वाले तालों से भरे आश्चर्यमय गीतों को सुनने में लीन रहती हैं।

आप मृदंग की धुधुकुट-धूधुट जैसी गम्भीर ध्वनि को सुनने में सदैव तत्पर रहती हैं, जो आपके जीवन में संगीत और आनंद का संचार करती है।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी महिमा और कलात्मकता अद्वितीय हैं! आपकी जय हो, जय हो!

जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते

झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ।

नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥

हिंदी अनुवाद

हे जपनीय मन्त्र की विजयशक्ति स्वरूपिणि ! आपकी बार-बार जय हो। जय-जयकार शब्दसहित स्तुति करने में तत्पर समस्त संसार के लोगों से नमस्कृत होनेवाली, अपने नूपुर के झण-झण, झिंझिम शब्दों से भूतनाथ भगवान शंकर को मोहित करनेवाली और नटी-नटों के नायक प्रसिद्ध नट अर्धनारीश्वर शंकर के नृत्य से सुशोभित नाट्य देखने में तल्लीन रहनेवाली, हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।

अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते

श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ।

सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥

हिंदी अनुवाद

हे देवी, आप प्रसन्नचित्त और संतुष्ट देवताओं द्वारा अर्पित किए गए पुष्पों से अत्यंत मनोरम कान्ति धारण करने वाली हैं। आप रात्रिसूक्त से प्रसन्न होकर निशाचरों को वरदान देने वाली शिवजी की प्रिय भार्या हैं।

आपका मुखमंडल चंद्रमा के समान उज्ज्वल है, और आपके सुंदर नेत्र कस्तूरी मृगों में व्याकुलता उत्पन्न करने वाले हैं। आप ज्ञानियों के मार्गदर्शन से भ्रांति को दूर करती हैं और उन्हें सही दिशा में प्रेरित करती हैं।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी महिमा और सुंदरता असीम हैं ! आपकी जय हो, जय हो!

सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते

विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ।

शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १२ ॥

हिंदी अनुवाद

हे देवी! आप महनीय महायुद्ध के श्रेष्ठ वीरों द्वारा घुमावदार और कलापूर्ण ढंग से चलाए गए भालों के युद्ध का निरीक्षण करने में चित्त लगाने वाली हैं। कृत्रिम लतागृह का निर्माण कर उसे संभालने वाली स्त्रियों की बस्ती में ‘झिल्लिक’ नामक वाद्यविशेष बजाने वाली भिल्लिनियों के समूह से सेवित होती हैं।

आप कान पर रखे हुए विकसित सुंदर रक्तवर्ण और कोमल पत्तों से सुशोभित हैं, जो आपकी अद्वितीय शोभा को और भी बढ़ाते हैं।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं,आपकी महिमा और शक्ति अतुलनीय हैं, आपकी जय हो, जय हो!

अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते

त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ।

अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १३ ॥

हिंदी अनुवाद

हे देवी! आप सुंदर दंतपंक्ति वाली स्त्रियों के उत्कण्ठापूर्ण मन को मुग्ध कर देने वाले कामदेव को जीवन प्रदान करने वाली हैं। निरंतर मद चूते हुए गण्डस्थल से युक्त, मदोन्मत्त गजराज के समान मंथर गति वाली, आप अपनी विशेषता में अद्वितीय हैं।

आप तीनों लोकों के आभूषण के रूप में चंद्रमा के समान कान्तियुक्त सागर कन्या के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी महिमा और सौंदर्य अनंत हैं! आपकी जय हो, जय हो!

कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते

सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ।

अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १४ ॥

हिंदी अनुवाद

हे देवी!  आप कमलदल के समान वक्र, निर्मल और कोमल कान्ति से परिपूर्ण, एक कलावाले चंद्रमा से सुशोभित उज्ज्वल ललाट पटल वाली हैं। आप सम्पूर्ण विलासों और कलाओं की आश्रयदाता हैं, और मन्दगति तथा क्रीड़ा से सम्पन्न राजहंसों के समुदाय से सुशोभित होती हैं।

आपके काले और सघन केशपाश की चोटी पर मौलश्री पुष्पों की सुगंध से भ्रमर समूहों को आकृष्ट करती हैं।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी महिमा और सौंदर्य अद्वितीय हैं! आपकी जय हो, जय हो!

करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते

मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ।

निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १५ ॥

हिंदी अनुवाद

हे देवी! आपके हाथ में सुशोभित मुरली की ध्वनि सुनकर बोलना बंद कर देने वाली, लाज से भरी हुई कोकिलों के प्रति प्रिय भावना रखने वाली हैं। आप भौंरों के समूहों की मनोहर गूँज से सुशोभित पर्वत प्रदेश के निकुंजों में विहार करती हैं।

आप अपने भूत, भिल्लिनी और अन्य गणों के नृत्य से युक्त क्रीड़ाओं को देखने में सदा तल्लीन रहती हैं, जो आपके आनंद का प्रतीक है।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी महिमा और प्रेम अपार हैं! आपकी जय हो, जय हो!

कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे

प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे

जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १६ ॥

हिंदी अनुवाद

हे देवी! आप अपने कटिप्रदेश पर सुशोभित पीले रंग के रेशमी वस्त्र की विचित्र कान्ति से सूर्य की प्रभा को तिरस्कृत कर देती हैं। आप सुमेरु पर्वत के शिखर पर मदोन्मत्त गर्जना करने वाले हाथियों के गण्डस्थल के समान वक्षस्थल वाली हैं।

आपको प्रणाम करने वाले देवताओं और दैत्यों के मस्तक पर स्थित मणियों से निकली हुई किरणों से प्रकाशित आपके चरणनखों में चंद्रमा के समान कान्ति है।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी महिमा और सौंदर्य अनुपम हैं! आपकी जय हो, जय हो!

विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते

कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ।

सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते ।

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १७ ॥

हिंदी अनुवाद

हे देवी! आप हजारों हस्त नक्षत्रों को जीतने वाले और सहस्र किरणों वाले भगवान सूर्य की एकमात्र नमस्करणीय हैं। आप देवताओं के उद्धार हेतु युद्ध करने वाले, तारकासुर से संग्राम करने वाले, और संसार सागर से पार करने वाले शिवजी के पुत्र कार्तिकेय को प्रणाम करने वाली हैं।

आप राजा सुरथ तथा समाधि नामक वैश्य की सविकल्प समाधि के समान समाधियों में सम्यक जपे जाने वाले मंत्रों में प्रेम रखती हैं।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी महिमा और भक्ति अपार हैं! आपकी जय हो, जय हो!

पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे

अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ।

तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १८ ॥

हिंदी अनुवाद

हे करुणामयी, कल्याणमयी शिवे! हे कमलवासिनी कमले! जो मनुष्य प्रतिदिन आपके चरणकमल की उपासना करता है, उसे लक्ष्मी का आश्रय कैसे नहीं प्राप्त होगा? आपकी कृपा से उसे सभी प्रकार की सुख और समृद्धि अवश्य प्राप्त होते हैं।

हे शिवे! आपका चरण ही परमपद है। इस परम सत्य को हृदय में धारण करने वाले भक्त को क्या सुलभ नहीं होगा? उसे तो संसार के समस्त सुख और आनंद प्राप्त हो जाएंगे।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं! आपकी जय हो, जय हो!

कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्

भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ।

तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १९ ॥

हिंदी अनुवाद

हे देवी!  जो स्वर्ण के समान चमकते घड़ों के जल से आपके प्रांगण की रंगभूमि को प्रक्षालित कर उसे स्वच्छ और पवित्र बनाता है, वह इन्द्राणी के समान विशाल वक्षस्थलों वाली सुन्दरियों का सान्निध्य और उनका सुख अवश्य प्राप्त करता है।

हे सरस्वती! मैं आपके चरणों को ही अपनी शरणस्थली बनाना चाहता हूँ। मुझे कल्याण का मार्ग दिखाएँ, जिससे मेरा जीवन समृद्ध और सुसंस्कृत हो सके।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं, जिनकी कृपा से कल्याण के द्वार खुलते हैं! आपकी जय हो, जय हो!

तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते

किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ।

मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २० ॥

हिंदी अनुवाद

हे देवी! जो आपके स्वच्छ चन्द्रमा के सदृश सुशोभित मुखचन्द्र को निर्मल कर आपको प्रसन्न कर लेता है, उसे क्या देवराज इन्द्र की नगरी में रहने वाली चन्द्रमुखी सुंदरियाँ सुख से वंचित रख सकती हैं? ऐसा संभव नहीं है।

हे भगवती! आप भगवान शिव के सम्मान को अपना सर्वस्व मानने वाली हैं। मेरा यह अटूट विश्वास है कि आपकी कृपा से इस संसार में क्या-क्या सिद्ध नहीं हो सकता? आपकी कृपा से सब कुछ संभव है।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं! आपकी जय हो, जय हो!

अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे

अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ।

यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते

जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २१ ॥

हिंदी अनुवाद

हे उमे! आप सदा दीन-दुःखियों पर दया का भाव रखती हैं, अतः कृपा करके मुझ पर भी अपनी अनुकम्पा बनाए रखें। हे महालक्ष्मी! जैसे आप सारे संसार की माता हैं, वैसे ही मैं आपको अपनी भी माता मानता हूँ।

हे शिवे! यदि आपको उचित प्रतीत हो, तो मुझे अपने दिव्य लोक में जाने की योग्यता प्रदान करें। हे देवी! मुझ पर दया करें और मेरी हर प्रार्थना को सुनें।

हे महिषासुर मर्दिनी, आप भगवान शिव की प्रिय पत्नी हैं! आपकी अनंत महिमा के आगे मेरा समर्पण है। आपकी जय हो, जय हो!

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