एक मंदिर जहाँ पूरी होती है मनोकामनाएं
भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी का नाम देवताओं में विशेष रूप से प्रसिद्ध है। क्योंकि वे बुद्धिमान, सत्यवान और शक्तिशाली माने जाते हैं। सनातन धर्म में यह मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य, जैसे घर निर्माण, विवाह या यज्ञ की शुरुआत “श्री गणेशाय नमः” से होती है। जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। भारत वर्ष में भगवान गणेश जी के कई प्रसिद्ध मंदिर है। जिनमें इनमें मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर सर्वाधिक लोकप्रिय है।
ऐसी मान्यता है कि सिद्ध विनायक मंदिर की महिमा बहुत ही अपरम्पार है। वे भक्तों की मनोकामनाओं को तुरंत पूरा करते है। इस मंदिर का इतिहास कुछ इस प्रकार है।
सिद्धिविनायक मंदिर के बारे में
मंदिर का इतिहास
सिद्धि विनायक मंदिर की स्थापना वर्ष 1801 में हुई। जब इसे लक्ष्मण विथु नामक व्यक्ति ने बनवाया। इसका निर्माण देउबाई पाटिल नामक एक धनवान और निःसंतान महिला ने करवाया। ताकि भगवान गणेश उन सभी महिलाओं की इच्छाएँ पूरी करें, जो संतान सुख से वंचित हैं।
शुरुआत में, यह एक छोटी ईंट की संरचना थी। जिसका आकार 3.6 मीटर × 3.6 मीटर था और इसके ऊपर गुंबद के आकार का शिखर था। siddhivinayak mandir में भगवान गणेश की काले पत्थर की मूर्ति रखी गई थी, जो आज भी मौजूद है।
स्थानीय श्रद्धालुओं के अनुसार, रामकृष्ण जम्भेकर महाराज ने अपने गुरु के निर्देश पर सिद्धिविनायक मूर्ति के सामने दो मूर्तियाँ दफनाई थीं। स्वामी समर्थ की भविष्यवाणी के अनुसार, 21 वर्ष बाद, वहीं एक मंदार का पेड़ उग आया। जिसकी शाखाओं पर स्वयंभू गणेश की छवि प्रकट हुई।
1952 में, सड़क विस्तार के दौरान हनुमान की एक मूर्ति मिली। जिसके बाद मंदिर परिसर में उन्हें समर्पित एक छोटा सा मंदिर भी बनाया गया। समय के साथ, इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई। 1990 में, मंदिर का बड़े पैमाने पर जीर्णोद्धार किया गया, जिसमें 3 करोड़ रुपये खर्च किए गए। जिससे यह 200 साल पुराना मंदिर मुंबई के सबसे आकर्षक और भव्य मंदिरों में से एक बन गया।
मंदिर की वास्तुकला
सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई की वर्तमान संरचना का निर्माण मशहूर वास्तुकार शरद अठाले द्वारा की गयी थी। इस पुनःनिर्मित मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति को छोड़कर बाकी सभी तत्वों को नये सिरे से तैयार किया गया। परिणामस्वरूप, एक अनूठी छह मंजिला इमारत बनी, जो पुराने मंदिर की जगह ले चुकी है। इस नई संरचना के केंद्रीय गुंबद पर सोने की परत वाला कलश स्थापित किया गया है।
मंदिर में 37 छोटे सोने के गुंबद भी शामिल हैं, जो इसकी भव्यता को बढ़ाते हैं। पुनर्निर्माण में उच्च गुणवत्ता वाले संगमरमर और गुलाबी ग्रेनाइट का प्रयोग किया गया है। मंदिर के भीतर जाने के लिए तीन अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं, और इसके लकड़ी के दरवाजों पर अष्टविनायक के आठ स्वरूपों की खूबसूरत नक्काशी की गई है।
इष्टदेवता और मूर्ति
Siddhivinayak mandir में स्थापित मूर्ति एक काले पत्थर के टुकड़े से बनी है, जिसमें भगवान गणेश को चतुर्भुज स्वरूप में दर्शाया गया है। उनके चार हाथों में पवित्र मोतियों की माला, एक कमल, एक छोटी कुल्हाड़ी, और मोदक की एक थाली है। गणेश की दोनों पत्नियाँ, सिद्धि और ऋद्धि, मूर्ति के दोनों ओर विराजमान हैं। मूर्ति के माथे पर एक तीसरी आँख है, जो भगवान शिव की आँख से मिलती जुलती है।
इस मंदिर की मुख्य मूर्ति की एक खास बात यह है कि भगवान गणेश की सूंड दाईं ओर झुकी हुई है, जबकि अधिकांश गणेश मूर्तियों की सूंड बाईं ओर होती है।
सिद्धिविनायक मंदिर की मूर्ति की विशेषता
हमारे घर में गणेश चतुर्थी पर स्थापित की गई बप्पा की मूर्ति की सूंड बाईं ओर होती है। जबकि सिद्धिविनायक मंदिर की मूर्ति की सूंड दाईं ओर झुकी हुई है।
इस मंदिर को भगवान गणेश का सिद्धपीठ माना जाता है। जहाँ भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं, इसलिए इसे सिद्धिविनायक के नाम से जाना जाता है।
इस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित गणेश जी की मूर्ति अत्यंत आकर्षक है। इसमें चार भुजाएँ हैं: ऊपरी दाहिने हाथ में कमल, बाएं हाथ में फरसा, निचले दाहिने हाथ में मोदक और बाएं हाथ में फूलों की माला है।
चांदी के चूहे
Siddhivinayak mandir के अंदर स्थापित चूहों की दो बड़ी मूर्तियां जोकि चांदी धातु से निर्मित है। ऐसी मन्यता है कि जो श्रद्धालु उन चूहों के कानों में अपनी मनोकामनाएं बताते है वे चूहे अपना सन्देश भगवान गणेश तक पहुंचाते है।
मंदिर की आकर्षक रचना
प्रसिद्ध वास्तुकार शरद आठले ने इस मंदिर को तैयार करने से पूर्व राजस्थान और तमिलनाडु के कई मंदिरों का गहन सर्वेक्षण किया। सभी पहलुओं की जांच करने के बाद, उन्होंने पुरानी स्थापत्य शैली में बने इस मंदिर का जीर्णोद्धार शुरू किया।
मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किए गए पत्थर संगमरमर और गुलाबी रंग के ग्रेनाइट के हैं। मंदिर में तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं और मंदिर बहुभुज है।
आर्कषण का केंद्र
इस मंदिर में मंगलवार को होने वाली आरती बहुत ही प्रसिद्ध है। जिसमें श्रद्धलुओं की लाइने करीब 2 किमी दूरी तक फैली रहती है। यह लोगों की आस्था को मुख्य केंद्र है गणेश उत्सव में यहाँ बप्पा के दर्शन के लिए श्रद्धलुओं की भीड़ उमड़ती है। देश ही नहीं विदेशों से भी लोग इस उत्सव को देखने आते है। इस मंदिर का गणेश उत्सव पूरे देश में प्रसिद्ध है।
अमीर मंदिर
Siddhivinayak mandir की गिनती भारत के सबसे अमीर मंदिरों में की जाती है। जानकारी के अनुसार यह मंदिर हर साल 100 मिलियन से 150 मिलियन धनराशि दान में प्राप्त करता है। इस मंदिर की देख रेख करने वाली संस्था मुंबई की सबसे अमीर ट्रस्ट है।
9 साँचा गणपति
सिद्धिविनायक को 9 साँचा गणपति या नौसाला पौनाला गणपति के नाम से पुकारते है। दरसल बप्पा को मराठी में इस नाम से पुकारते है। जिसका अर्थ होता है कि जब भी कोई भक्त सिद्धिविनायक की सच्ची मन से पूजा करता है तो बप्पा उस व्यक्ति की मनोकामना जरूर पूरी करते है।
सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई: आज
वर्तमान समय में यह मंदिर मुंबई के प्रमुख धार्मिक स्थलों और ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। इस मंदिर में स्थापित गणेश की 2.5 फीट ऊंची मूर्ति बॉलीवुड सेलेब्स, खिलाड़ियों, राजनेताओं और भक्तों को आकर्षित करती है। अनुमान के अनुसार, मंदिर को हर साल भक्तों से लगभग 100 से 150 मिलियन रुपये दान में मिलते हैं।
गणेश चतुर्थी का वार्षिक उत्सव यहाँ भव्यता से मनाया जाता है। और सामान्य दिनों में मंगलवार को श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ होती है। जिसे भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
मंदिर के बाहर एक “फूल गली” है। जहाँ माला, नारियल और मोदक बेचने वाले कई स्टॉल मौजूद हैं। इसके अलावा, मुंबई के अधिकांश होटलों से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई पता ?
अगर आप Siddhivinayak Temple Dadar स्टेशन से आ रहे हैं। तो स्टेशन पहुंचने के बाद प्रभादेवी मुंबई जाने के लिए BEST बस की सेवायें उपलब्ध है। इसके अलावा दादर स्टेशन से Shree Siddhivinayak Temple तक पहुंचने के लिए कैब (Taxi) सेवा भी है।
यदि परदेश से श्रद्धालु Siddhivinayak Mandir Mumbai में दर्शन के लिए आ रहे हैं तो उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आना होगा। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद, वहां से प्रभादेवी तक पहुंचने के लिए बस या कैब (Taxi) की सेवा उपलब्ध है।
सरकारी बस (एसटी) सेवाये भारत के हर कोने में उपलब्ध है. अगर आप सरकारी बस से आ रहे हो तो मुंबई पहुंचने के बाद वहा से प्रभादेवी (मुंबई) के लिए BEST बस सुविधाये प्रदान की गई है ताकि श्रद्धालुओ को यात्रा मे कोई परेशानी ना हो।
किस मौसम में जाये ?
Shree Siddhivinayak Temple में दर्शन के लिए अक्टूबर से फरवरी तक का सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि मानसून के दौरान मुंबई के इलाकों में बाढ़ और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं का सामना करना पड सकता है।
अगर समय की बात करें तो दोपहर के समय मंदिर में दर्शन की कतार कम होती है इसलिए भक्त भीड़ कम होने के कारण उचित दर्शन कर सकेंगे और मंदिर की सुंदरता को भी महसूस कर पाएंगे।
माघी गणेश जयंती, अंगारकी और संकष्टी चतुर्थी, गणेश चतुर्थी के दौरान मंदिर में बप्पा के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. तो आप उचित समय देखकर मंदिर के दर्शन का प्लान कर सकते है।
सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़ें रोचक तथ्य
जब बॉलीवुड सुपरस्टार संजय दत्त 25 फरवरी 2016 को अंततः जेल से रिहा हुए, तो मुंबई पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले यह मंदिर का दौरा किया।
2012 में जब एप्पल के सीईओ टिम कुक भारत आए तो उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत सबसे पहले इसी मंदिर में पूजा-अर्चना करके की थी।
ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति मंदिर परिसर में स्थापित दो विशाल चांदी के चूहों के कान में अपनी इच्छा फुसफुसाता है, तो उसकी इच्छा सीधे भगवान गणेश तक पहुंच जाती है।
इस मंदिर की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि मंगलवार को दर्शन के लिए कतार कभी-कभी 2 किमी तक लंबी हो जाती है।
मंदिर ट्रस्ट कार्य क्षेत्र
श्री Siddhivinayak Mandir ट्रस्ट एक सरकारी नियंत्रित ट्रस्ट है और ट्रस्ट का काम काज राज्य सरकार के एक अधिनियम “ श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट अधिनियम 1980 ” द्वारा शासित है। ट्रस्ट के फंडो का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
1 – श्रद्धलुओं को सुविधा प्रदान करना।
2 – मंदिर की सम्पति और ट्रस्टियों का रखरखाव और शासन प्रबंध
3 – दैनिक पूजा और समाराेहों की पूजा कर प्रबंध करना
4 – गरीब और जरुरतमंदो को चिकिस्ता के साथ साथ किफायती डायलिसिस प्रक्रियाएं उपलब्ध करना।
5 – शैक्षिक वित्त पोषण
सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई के पास के आकर्षण
- प्रभादेवी बीच (1.3 किमी)
- शिवाजी पार्क (2.3 किमी)
- वर्ली किला (2.8 किमी)
- माहिम बीच (3.5 किमी)
- नेहरू तारामंडल (4.3 किमी)
- माहिम किला (4.9 किमी)
- हाजी अली दरगाह (6.2 किमी)
- श्री महालक्ष्मी मंदिर (6.7 किमी)
FAQ
यह मंदिर मुंबई, महाराष्ट्र के प्रभादेवी इलाके में स्थित है।
यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें सिद्धिविनायक के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर की स्थापना 19 नवंबर 1801 को की गई थी।
निष्कर्ष
सिद्धिविनायक मंदिर भारतीय समाज में आस्था, सांस्कृतिक धरोहर, और सामाजिक सेवा का प्रतीक है। यह मंदिर न केवल भगवान गणेश के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि समाज को एकजुटता और सामुदायिक सहयोग की प्रेरणा भी देता है। यहाँ हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
मंदिर ट्रस्ट शिक्षा, स्वास्थ्य, और समाज सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय योगदान देता है, जैसे कि स्कूलों का संचालन, चिकित्सा सुविधाएं, और आपदा राहत। इस प्रकार, सिद्धिविनायक मंदिर भारतीय समाज के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।