सकट चौथ व्रत कथा, पूजा विधि और पूजन सामग्री की सम्पूर्ण जानकारी
माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ, माघी चौथ या तिलकुट चौथ के नाम से जाना जाता है। इस दिन स्त्रियाँ भगवान गणेश की पूजा – अर्चना करती हैं और व्रत भी राखित हैं। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से संतान को सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही उसके जीवन में आने वाली सारी बाधाएँ भी दूर हो जाती है। तो आइये सकट चौथ व्रत कथा के सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करते है।
सकट चौथ कब होता है ?
सामान्यतः एक महीने में दो प्रकार की चतुर्थी आती है। पहली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को जिसे ” विनायक चतुर्थी ” के नाम से जाना जाता हैं। दूसरी पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी जिसको ” संकष्टी चतुर्थी ” भी कहते हैं। माघ महीने में आने वाली की संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व हैं। इस को ही सकट चौथ कहा जाता है। नारद पुराण के अनुसार माघ मास की संकष्टी चतुर्थी का व्रत बहुत पुण्यदायी माना गया है। ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन सकट चौथ व्रत कथा के श्रवणपान से जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है। तो आइये विस्तार से इस कथा के बारे में जानते हैं।
सकट चौथ का इतिहास
सकट चौथ का इतिहास प्राचीन है। मान्यता है कि त्रेता युग में रावण और देवताओं के बीच भीषण युद्ध हुआ था, जिसमें रावण ने स्वर्ग के सभी देवताओं को पराजित कर दिया था।
इसके बाद, अहंकार में चूर रावण ने वानरराज बाली को युद्ध के लिए ललकारा। युद्ध में बाली ने चालाकी से रावण को पीछे से पकड़ लिया और अपनी बगल में दबाकर किष्किंधा नगरी ले आए।
वहाँ बाली ने रावण को अपने पुत्र अंगद के लिए खिलौने के रूप में दे दिया। अंगद रावण को खिलौना समझकर रस्सी से बांधकर खेलते थे, जिससे रावण को अत्यधिक कष्ट और अपमान सहना पड़ा।
अपनी स्थिति से दु:खी होकर रावण ने अपने पिता महर्षि पुलस्त्य को स्मरण किया। महर्षि पुलस्त्य ने रावण पूछा, “तुमने मुझे क्यों याद किया है?” इस पर रावण ने उत्तर दिया, पिताजी, मैं अपने इस उपहास से बहुत दु:खी हूँ अतः मेरी सहायता करें।
पुलस्त्य ऋषि ने रावण को सांत्वना देते हुए कहा, “पुत्र, घबराओ मत। तुम शीघ्र ही इस बंधन से मुक्त हो जाओगे। बस विघ्नविनाशक भगवान गणेश का स्मरण करो और सकट चौथ व्रत कथा का श्रवण करो। पूर्वकाल में इंद्र ने भी वृत्रासुर के वध के दोष से मुक्ति पाने के लिए इसी व्रत को किया था। तुम भी यह व्रत करो।”
रावण ने पुलस्त्य ऋषि की आज्ञा मानकर भक्तिपूर्वक सकट चौथ व्रत किया। इसके परिणामस्वरूप, वह बाली के बंधन से मुक्त हुआ और पुनः अपने राज्य को प्राप्त कर सका।
यह कथा सकट चौथ व्रत के महत्व को दर्शाती है, जो संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।
पूजा विधि
सकट चौथ की पूजा विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित है। इस व्रत की सम्पूर्ण विधि इस प्रकार है।
व्रती प्रातः काल स्नान कर साफ़ कपड़े पहने और पूजा स्थल को साफ करें।
आवाहनम्:
इस मंत्र से भगवान गणेश का आवाहन करें : “ओम श्री गणेशाय: आवाहनं समर्पयामि”
आसानम् :
इसके बाद भगवान गणेश को इस मंत्र के जाप से आसान प्रदान करें : “ओम श्री गणेशए: आसनम समर्पयामि।”
पाद्यम, अर्घ्यम और आचमन्यम
आसन के पश्चात भगवान को जल अर्पित करें इसके लिये आप इस मंत्र का उच्चारण करें : ओम श्री गणेशए पद्यं अर्घ्यं आचमन्यम समर्पयामि।
संकल्पम्
संकल्प लेने के लिये हाथ में कुशा की अंगूठी और त्रिकुशा धारण करें। इसके बाद में दाहिने हाथ में गंगा जल, अक्षत (चावल), पुष्प, तिल, पान, सुपारी, चंदन और दक्षिणा रखें। फिर निम्लिखित संकल्प मंत्र का उच्चारण करें।
“ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानेऽस्याद्य ब्रह्मणः द्वितीय परार्धे… (यहाँ अपने स्थान, तिथि, गोत्र, नाम आदि का उल्लेख करें) …सर्वेषां क्षेमस्थैर्य-आरोग्य-ऐश्वर्याभिवृद्ध्यर्थं धर्मार्थ-काम-मोक्ष-चतुर्विध-फलपुरुषार्थ-सिद्ध्यर्थं भगवद्प्रीत्यर्थं (यहाँ जिस देवता की पूजा कर रहे हैं, उनका नाम लें) देवस्य पूजनं करिष्ये।”
अंत में हाथ में लिया जल भूमि पर छोड़ दें और धरती को प्रणाम करें।
स्नानम्
अब भगवान श्री गणेश को स्नान के लिये जल अर्पित करें। इसके लिये आप इस मंत्र का जाप करें।
ओम श्री गणेशाय स्नानं समर्पयामि
आप चाहें तो भगवान को पंचामृत स्नान भी करा सकते हैं। इसके लिये आप शहद, चीनी, कच्चा दूध, दही, देसी घी, गंगा जल और पांच मेवा को एक साथ मिश्रित करें।
वस्त्रम्
स्नान के बाद भगवान श्री गणेश को वस्त्र अर्पित करने के लिये इस मंत्र का जाप करें। “ओम श्री गणेशए वस्त्रं समर्पयामि”
यज्ञोवीतम्
तत्पश्चात भगवान को पवित्र धागा अर्पित करें। आप इसके लिये इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं : ओम श्री गणेशय यज्ञोपवीतम् समर्पयामि
गंधम्
अब इस मंत्र का जब करते हुए भगवान श्री गणेश पर चन्दन और रोली चढ़ाए। मंत्र जप करें: ओम श्री गणेशय चंदनम समर्पयामि, ओम श्री गणेशय रोली समर्पयामि
पुष्पम्
गंधम के बाद भगवान को पुष्प को अर्पित करें। याद रखें भगवान गणेश को लाल पुष्प अधिक प्रिय है। इसके साथ भगवान को दूर्वा घास अवश्य अर्पित करें। इसके लिये आप इस मंत्र का जाप करें : ओम श्री गणेशय पुष्पम समर्पयामि।
धूपम्, दीपम् और नैवेद्यम्
अब भगवान को धुप, दीप और नैवेद्य चढ़ाने के लिये इन मंत्रो का जाप करें
दीप : ओम श्री गणेशय दीपम समर्पयामि
धुप : ओम श्री गणेशय धूपम समर्पयामि
नैवेद्य : ओम श्री गणेशय नैवेद्यं समर्पयामि (नैवेद्य में भगवान श्री गणेश को मोदक या लड्डू चढ़ाए)
ताम्बुलम्
अंत में भगवान को ताम्बुल अर्पित करें इस के लिये आप इस मंत्र के जाप करें : ओम श्री गणेशय ताम्बुलम समर्पयामि।
अब भगवान गणेश कि आरती दिखाए। भगवान गणेश जी कि आरती के लिये यहाँ पर क्लिक करें।
रात्रि को चंद्रमा के उदय के समय अर्घ्य दें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रती फलाहार या हल्का भोजन कर सकता है।
पूजा सामग्री
सकट चौथ व्रत कथा में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों के नाम इस प्रकार है।
- भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र
- कलश (जल से भरा हुआ)
- दीपक और तेल/घी
- धूपबत्ती या अगरबत्ती
- रोली और कुमकुम
- चावल (अक्षत)
- लाल वस्त्र या रेशमी कपड़ा
- सुपारी, पान के पत्ते
- फूल (विशेष रूप से लाल फूल)
- तिल (तिल के लड्डू या तिल से बना पकवान)
- गुड़
- मोदक या लड्डू
- फल
- पंचमेवा (सूखे मेवे)
- जल अर्पण के लिए चम्मच या अर्घ्य पात्र
- आरती की थाली
- दूर्वा घास
- पान, लौंग, इलायची
- मिठाई
भगवान गणेश जी के मंत्र
सकट चौथ व्रत कथा करने के पश्चात भगवान गणेश को समर्पित इन मंत्रो का उच्चारण अवश्य करें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ गं गणपतये नमः
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
‘गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:। नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:। गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
वर्ष 2025 में सकट चौथ कब है ?
वर्ष 2025 में सकट चौथ व्रत 17 जनवरी को किया जायेगा। इस दिन पूजा करने का शुभ समय सायं 5: 45 बजे से सायं 7:15 मिनट तक है।
निष्कर्ष
इस लेख के अंतर्गत आपको सकट चौथ व्रत के बारे में सम्पूर्ण जानकारी बताई गयी जिसे पढ़ने के बाद अब आपको इस व्रत की पूजा विधि, पूजन सामग्री, व्रत कथा को पूर्ण करने में मदद मिली होगी। अध्यात्म के क्षेत्र में ऐसी ही रोचक जानकारियों को जानने के लिए इस वेबसाइट को विजिट करते रहे।