महा मृत्युंजय मंत्र हिंदी अर्थ सहित
इस 52 अक्षर का महामृत्युंजय मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। इसका का जप करने वाले को लंबी उम्र मिलती है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है।
मंत्र
ॐ त्रिम्बक यजामहे सुगन्धि पृथिवीव्र्धनम।
उर्वारुकमिव बन्धनं मृत्योर्मुक्षीय मामृतात॥
संपूर्ण महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः
ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः
ॐ सः जूं हौं ॐ।
हिंदी अनुवाद
शिवपुराण और अन्य ग्रंथों में इस मंत्र का बहुत महत्व बताया गया है। अगर कोई बीमार हो या किसी संकट में हो, तो इस मंत्र का जाप करना बहुत फायदेमंद होता है। कहा जाता है कि इससे अकाल मृत्यु टल सकती है।
इस मंत्र की शुरुआत “ऊँ” से होती है, जिसे लंबी सांस लेकर बोला जाता है।
जब इसे बार-बार दोहराया जाता है, तो शरीर की नसों और चक्रों में ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा शरीर को शक्ति देती है और रोगों से बचाने में मदद करती है।
हम त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो सुगंधित है और जीवन को पोषण देने वाले हैं। जिस प्रकार ककड़ी (उर्वारुक) अपने बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हमें भी मृत्यु के बंधन से मुक्त कर अमरत्व प्रदान करें।
महा मृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का एक बहुत शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। शिव को मृत्यु का देवता कहा जाता है, इसलिए यह मंत्र मृत्यु पर विजय पाने वाला माना जाता है।
महा मृत्युंजय मंत्र का असर
- यह मंत्र सिर्फ पूजा के लिए नहीं है, बल्कि विज्ञान के नजरिए से भी बहुत खास है।
- जब इसे सही तरीके से बोला जाता है, तो हमारे शरीर में कंपन होता है।
- यह कंपन शरीर की नसों (नाड़ियों) को शुद्ध करता है और उनमें ऊर्जा बढ़ाता है।
- इससे शरीर मजबूत होता है और बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।
महा मृत्युंजय मंत्र की शक्ति से जुड़ी मान्यताएं
- इस मंत्र के जाप से आयु वृद्धि होती है।
- इससे रोगमुक्ति और भय से मुक्ति मिलती है।
- यह मंत्र अकाल मृत्यु के डर से बचाता है।
- इस मंत्र के जाप से दुर्घटनाओं से भी बचाव होता है।
- इससे व्यक्ति को सभी दुखों, गरीबी, और स्वास्थ्य संकटों से भी छुटकारा मिलता है।
- यह मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला खास मंत्र है।
- इस मंत्र के जाप से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
- इस मंत्र का कंपन्न यानी वाइब्रेशन, हीन शक्तियों को खत्म करने वाला होता है।
- इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है।
- शविपुराण में भी इसका महत्व बताया गया है।
- इस मंत्र को रुद्र मंत्र, त्र्यंबकम मंत्र, और मृत संजीवनी मंत्र भी कहा जाता है।
- महामृत्युंजय मंत्र का हर अक्षर अपने आप में शक्तिशाली और चमत्कारी होता है।
- इस मंत्र को वेद का ह्रदय कहा गया है।
महा मृत्युंजय मंत्र का जाप कैसे करें?
- रुद्राक्ष की माला से रोज 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
- इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
- यह मंत्र कुंडली के दोषों को भी दूर करता है।
महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय सावधानियां
- मन और शरीर साफ होना चाहिए। गलत विचार मन में न लाएं।
- सही उच्चारण में मंत्र पढ़ें। अगर न बोल पाएं तो किसी पंडित से करवाएं।
- निश्चित संख्या में जाप करें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं।
- भगवान शिव की मूर्ति, चित्र या महा मृत्युंजय यंत्र के सामने जाप करें।
- जाप के समय दीपक और धूप जलती रहनी चाहिए।
- रुद्राक्ष की माला से ही जाप करें। बिना आसन के मंत्र न पढ़ें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके, एक निश्चित स्थान पर रोज जाप करें।