गोवर्धन पूजा विधि, महत्व एवं सम्पूर्ण कथा
गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है और इसे अन्नकूट भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी।
आइए, Govardhan Puja की विधि, पूजन सामग्री, और कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
गोवर्धन पूजा कथा
पुराणों के अनुसार, बृजवासी वर्षा करवाने के लिए इंद्रदेव को ही उत्तरदायी मानते थे । और इस कारण वे इंद्रदेव की पूजा बहुत विधि-विधान से करते थे।
अपनी शक्तियों पर बहुत घमंड हो गया था। इंद्रदेव को सबक सीखने के लिये भगवन श्री कृष्णा ने इंद्रा वेद की उपासना करने के लिये मना किया।
उन्होंने समझाया कि हमें इंद्रा देव के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि यह पर्वत हमें भोजन, शरण और जल प्रदान करता है।
बृजवासी भगवान श्री कृष्ण की बात मान कर इंद्रा देव के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। जिससे इंद्रा देव क्रोधित हो गए और गोकुल में मूसलाधार वर्षा करने लगे।
जिससे वहाँ का जीवन अस्त वस्थ हो गया और लोग घबरा गए और भगवान श्रीकृष्ण से सहायता मांगी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी गोकुलवासियों को इंद्रा देव के प्रकोप से बचाया।
अंततः इंद्र देव ने अपनी हार स्वीकार कर ली और श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी।
तभी से Govardhan Puja का आयोजन किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर गोवर्धन पर्वत को अन्नकूट का भोग लगाने की प्रथा प्रचलित है।
गोवर्धन पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का स्वरूप बनाएँ।
- गोवर्धन पर्वत के साथ भगवान कृष्ण, गाय और ग्वाल-बालों की छोटी मूर्तियाँ रखें।
- पूजा की थाली में सभी पूजन सामग्री व्यवस्थित करें।
- जल, रोली, मौली, चावल, धूप, दीपक, पुष्प, मिठाई, फल, गन्ना और अनाज रखें।
- भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की धूप-दीप से आरती करें।
- गोवर्धन पर्वत पर जल, चावल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
- गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का विशेष महत्व है। इसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ, दालें और मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
- अंत में, आरती गाएँ और परिवार के सदस्यों के साथ प्रसाद का वितरण करें।
गोवर्धन पूजन सामग्री
- गाय का गोबर
- गोवर्धन पर्वत की छोटी मूर्ति या प्रतीक
- भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति
- धूप, दीपक, और अगरबत्ती
- जल का कलश
- रोली, मौली, और अक्षत (चावल)
- ताजे फूल और तुलसी दल
- मिठाई, फल, गन्ना, और अनाज
- अन्नकूट के लिए विभिन्न प्रकार के अनाज और सब्जियाँ
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2024
वर्ष 2024 में गोवर्धन पूजा करने का शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 34 मिनट से 8 बजकर 46 मिनट तक रहने वाला है।