गोपाष्टमी पूजा विधि, महत्व एवं सम्पूर्ण व्रत कथा
गोपाष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गायों की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
गोपाष्टमी के दिन गौ माता की पूजा की जाती है और इसे विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन से गौचारण (गायों को चराना) शुरू किया था, इसलिए इस दिन का बहुत महत्व है।
गोपाष्टमी का व्रतपालन और vrat katha अनुसरण करने से जीवन में सुख, समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
गोपाष्टमी सम्पूर्ण व्रत कथा
गोपाष्टमी की पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण और बलराम बाल्यकाल में जब बड़े हुए, तो माता यशोदा ने उन्हें गायों की देखभाल करने के लिए कहा।
इससे पहले तक वे बछड़ों की देखभाल करते थे। लेकिन इस दिन से उन्होंने गायों को जंगल में चराना शुरू किया। गोपाष्टमी के दिन भगवान Shri Krishna ने पहली बार अपनी गायों के साथ जंगल में प्रवेश किया और वहाँ गोचारण किया।
इस दिन से गायों की पूजा का महत्व बढ़ गया क्योंकि भगवान स्वयं गोपालक बने थे।
एक अन्य कथा के अनुसार, जब इंद्रदेव ने गोकुलवासियों को लगातार वर्षा करके परेशान किया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गाँववासियों और गायों की रक्षा की।
इसके बाद इंद्रदेव को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान कृष्ण से क्षमा मांगी। तभी से गोवर्धन पूजा और गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा।
गोपाष्टमी पूजन सामग्री
- गाय और बछड़े की मूर्ति या सजीव गाय
- फूलों की माला और वस्त्र
- हल्दी, चंदन, कुमकुम
- दीपक, धूप, अगरबत्ती
- गाय का गोबर
- अक्षत (चावल)
- तुलसी के पत्ते
- पान, सुपारी
- नैवेद्य (मिठाई, फल)
- जल से भरा कलश
- गाय के लिए भोजन (घास, गुड़, रोटी)
गोपाष्टमी पूजन विधि
- स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल स्नान कर पूजा स्थल को साफ करें और गायों को नहलाकर सजाएँ, उन्हें फूलों की माला पहनाएँ और उनके सींगों को सजाएँ।
- गाय की पूजा: गाय को शुभ माना जाता है। इसलिए सबसे पहले गाय और उसके बछड़े की पूजा करें। उनके माथे पर चंदन, हल्दी और कुमकुम लगाएँ। इसके बाद उन्हें फूलों की माला पहनाएँ और दीपक जलाएँ।
- धूप और दीपक अर्पित करें: गाय के चारों ओर दीपक घुमाकर आरती करें और धूप दिखाएँ।
- जल और नैवेद्य अर्पण करें: गाय को जल अर्पित करें और फिर उन्हें हरी घास, गुड़, रोटी आदि खिलाएँ। इसके बाद गाय के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें। गाय को मीठा भोजन और फल भी अर्पित करें।
- गोवर्धन की पूजा: गोपाष्टमी के दिन गोवर्धन पूजा का भी महत्व है। गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा करें और भगवान Shri Krishna की गोवर्धन लीला का स्मरण करें। तुलसी के पत्ते और फूल अर्पित करें।
- व्रत कथा का पाठ करें: गोपाष्टमी की व्रत कथा का पाठ करें और भगवान श्रीकृष्ण की गोपालक के रूप में आराधना करें।
गोपाष्टमी व्रत 2024 पूजन करने का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष गोपाष्टमी व्रत पूजन करने का शुभ मुहूर्त 9 नवंबर को प्रातःकाल 8 बजे से लेकर रात्रि 10 बजकर 56 मिनट तक रहने वाला है।