घर में तुलसी का पौधा कब लगाना चाहिए?
हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि घर में तुलसी का पौधा लगाने से घर का वातावरण शुद्ध और सकरात्मक बना रहता है। इस पौधे को घर में लगाने के कई लाभ है। लेकिन क्या जानते है कि तुलसी का पौधा घर में किस दिन लगाना चाहिए ? हिन्दू उपनिषदों में इस पौधे को लगाने के कई नियमों बताये गए है। यदि इन नियमों का पालन करके घर में तुलसी का पौधा लगाया जाये तो परिणाम अत्यंत ही लाभदायक होते है। तो आइये इस लेख के माध्यम से इस जानकारी को विस्तार से समझते है।
तुलसी के पौधे को लगाने का उचित मौसम
तुलसी का पौधा लगाने के लिए सितम्बर से नवंबर के बीच का मौसम सबसे उपयोगी माना गया है। इस मौसम में न तो अधिक गर्मी और न ही सर्दी होती है। अतः रोपित किये गए तुलसी के बीजों या पौधों को पर्याप्त नमी, वायु और सूर्य की रोशनी मिलती रहती है। जिससे पौधे की जड़ें अपनी पकड़ को भूमि में अच्छी तरह से बना लेती है।
किस दिन तुलसी का पौधा लगाएं
तुलसी के पौधे को लगाने के लिए बृहस्पतिवार का दिन सबसे योग्य माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी भगवान शालिग्राम [ भगवान विष्णु के अवतार ] की पत्नी है। इसलिए इस दिन घर में तुलसी का पौधा लगाने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते है। इसके अलावा शुक्रवार का दिन भी इस कार्य के लिए उचित माना गया है। जबकि रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार और शनिवार को तुलसी का पौधा लगाने से बचना चाहिए।
घर की किस दिशा में तुलसी का पौधा लगाएँ
घर में तुलसी का पौधा लगाते समय दिशाओं का विशेष ध्यान रखे। क्योंकि गलत दिशा में लगाये गए तुलसी के पौधे अप्रभावशाली और निष्क्रिय माने गए है। वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी के पौधे को घर की पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में लगाना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
घर के दक्षिण दिशा में तुलसी का पौधा कदापि न लगायें। यह दिशा घर के पितरों का स्थान माना गया है। इसलिए इस दिशा में तुलसी का पौधा न लगाकर वास्तुदोष से बचना चाहिए।
घर में कौन सी तुलसी लगाएं ?
तुलसी के पौधों में कई प्रजातियां पायी जाती है। लेकिन ज्यादातर घरों में लोग रामा या श्यामा तुलसी ही लगाते है। लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि तुलसी का कौन सा पौधा अधिक प्रभावशाली या फलदायी होता है। इस सन्दर्भ में धार्मिक मान्यता अनुसार रामा तुलसी अधिक फलदायी मानी गयी है। इसकी हरी तीक्ष्ण सुगन्धित पत्तियाँ घर के वातावरण को स्वस्थ बनाये रखने में मददगार होती है।
तुलसी के पौधे के लिए भूमि कैसी होनी चाहिए ?
तुलसी के पौधे के लिए अच्छी जल निकासी वाली, हल्की और कार्बनिक पदार्थो से भरपूर मिटटी होनी चाहिए। ऐसी मिटटी में तुलसी का पौधा अपनी जड़ों को अच्छी तरह से विकसित कर लेता है। और पौधे को सम्पूर्ण तत्व प्रदान कर उसे हरा भरा बनाये रखता है।
क्या घर में तुलसी के दो पौधे लगायें जा सकते है ?
जी, हाँ घर में तुलसी के एक से अधिक पौधे लगाए जा सकते है। ऐसा करने से आपको धन और समृध्दि का सुख प्राप्त होता है और घर के सदस्यों की आय में वृद्धि होती है। सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। लोग निरोगी होते है।
तुलसी की पत्तियों को कब न तोड़ें ?
धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्यास्त के पश्चात तुलसी के पौधे को स्पर्श नहीं करना चाहिए। न ही तुलसी की पत्तियों को तोड़ना चाहिए। प्रतिदिन शाम के समय तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलने से कई लाभ मिलते है। भगवान विष्णु भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते है।
तुलसी लगाने का सही तरीका
तुलसी का पौधा लगाने से पहले यह जानना जरूरी है कि किस प्रकार की मिट्टी और स्थान इसके लिए उपयुक्त हैं। तुलसी को ऐसी मिट्टी पसंद है जो उपजाऊ हो और जिसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था हो। आप तुलसी को गमले में या बगीचे में लगा सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखें कि उसे प्रतिदिन 4-6 घंटे की धूप अवश्य मिले।
मिट्टी को उपजाऊ बनाये
तुलसी के पौधे के लिए मिट्टी तैयार करते समय इसमें थोड़ी सी खाद मिलाएं ताकि मिट्टी उपजाऊ हो सके। आप जैविक खाद या गोबर की खाद का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए उसमें थोड़ी सी रेत मिलाना फायदेमंद होता है।
बीज से पौधा तैयार करना
तुलसी का पौधा लगाने के लिए बीज को मिट्टी की सतह पर डालें और मिट्टी को पानी से हल्का गीला करें। किन्तु ध्यान रखें कि मिट्टी अधिक गीली न हो। करीब 1-2 सप्ताह बाद छोटे-छोटे अंकुर निकलने लगेंगे।
सर्दियों में तुलसी के पौधे को सूखने से कैसे बचायें
सर्दियों में तुलसी के पौधे की देखभाल करना आवश्यक होता है। क्योंकि ठंड के मौसम में इसकी पत्तियाँ मुरझाने या पौधा सूखने की संभावना बढ़ जाती है। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप सर्दियों में तुलसी के पौधे को सूखने से बचा सकते हैं।
- तुलसी का पौधा ऐसे स्थान पर रखें जहाँ उसे पर्याप्त धूप मिल सके। सर्दियों में सूरज की रोशनी कम होती है, इसलिए सुनिश्चित करें कि पौधा दिन के अधिकांश समय सूर्य के प्रकाश में रहे।
- सर्दियों में तुलसी के पौधे को ज़रूरत से ज़्यादा पानी देने से बचें, क्योंकि ठंड में मिट्टी जल्दी सूखती नहीं है। सप्ताह में एक या दो बार ही हल्का पानी दें, यह सुनिश्चित करते हुए कि मिट्टी गीली नहीं हो बल्कि नम हो।
- गमले में पानी की निकासी के लिए अच्छे ड्रेनेज छेद होने चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी बाहर निकल सके। इससे जड़ें सड़ने से बचेंगी।
- कोहरा और पाला से तुलसी का पौधा क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसलिए सर्दियों में इसे कोहरे और पाले से बचने के लिए इनडोर ग्रीनहाउस में या घर के अंदर रखें।
- तुलसी के पौधे की पत्तियों को हल्के से ट्रिम करते रहें ताकि नई कोमल पत्तियाँ उग सकें और पौधा ताज़ा बना रहे।
तुलसी के सूखे पौधे को हरा कैसे करें
तुलसी के सूखे हुए पौधे को फिर से हरा-भरा बनाने के लिए कुछ विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
- आप तुलसी के पौधे की मिट्टी को छूकर देखें; यदि यह सूखी है, तो पौधे में थोड़ा पानी डालें। ध्यान रखें कि पानी इतना ही दें कि मिट्टी नम रहे, गीली न हो।
- तुलसी का पौधा सूर्य की रोशनी से ऊर्जा शोषित करके खुद को हरा भरा बनाये रखता है। इसलिए पौधे को ऐसी जगह रखें जहाँ उसे रोज़ाना 5-6 घंटे की सीधी धूप मिल सके। अगर यह संभव न हो, तो आप ग्रो लाइट का भी उपयोग कर सकते हैं।
- सूखी और मुरझाई हुई पत्तियों और टहनियों को साफ करें। इससे पौधे को नई पत्तियों और टहनियों को उगाने में मदद मिलेगी और पौधे की ऊर्जा का सही उपयोग होगा।
- पौधे को पुनर्जीवित करने के लिए हल्का जैविक खाद या लिक्विड फर्टिलाइज़र का उपयोग करें। ध्यान रखें कि उर्वरक की अधिक मात्रा से तुलसी का पौधा क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसलिए महीने में एक बार हल्का उर्वरक ही पर्याप्त है।
- सुनिश्चित करें कि मिट्टी पौधे के लिए उपयुक्त है। अगर मिट्टी बहुत कड़ी हो गई है, तो इसे थोड़ा नरम करें और ज़रूरत पड़ने पर नई ताज़ा मिट्टी मिलाएं।
तुलसी के पौधे में होने वाले रोग और उनसे बचाव
तुलसी के पौधे में होने वाले प्रमुख रोगों और उनसे बचाव के उपाय इस प्रकार हैं।
1. पत्तियों का पीला पड़ना
- पौधे को संतुलित मात्रा में पानी दें।
- मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए समय-समय पर जैविक खाद डालें।
- पौधे को पर्याप्त धूप में रखें ताकि वह स्वस्थ रहे।
2. फंगस संक्रमण (पाउडरी मिल्ड्यू)
- पौधे को अच्छी हवा वाले स्थान पर रखें।
- पानी सुबह के समय दें ताकि पत्तियाँ दिन में सूख जाएँ।
- नीम के तेल का स्प्रे करें, जो एक प्राकृतिक फंगीसाइड है।
3. जड़ सड़न (रूट रोट)
- गमले में ड्रेनेज छेद सुनिश्चित करें।
- पानी तभी दें जब मिट्टी सूखी हो।
- जरूरत पड़ने पर पौधे की मिट्टी बदल दे।
4. कीटों का आक्रमण (एफिड्स और व्हाइटफ्लाई)
- पौधे की नियमित रूप से जाँच करें।
- साबुन के पानी का हल्का स्प्रे करें या नीम तेल का उपयोग करें।
5. ब्लैक स्पॉट रोग
- संक्रमित पत्तियों को तोड़कर हटा दें।
- पौधे पर पानी डालने से बचें, खासकर पत्तियों पर।
- कॉपर फंगीसाइड का हल्का स्प्रे करें।
6. मृदु सड़न (सॉफ्ट रोट)
- प्रभावित हिस्सों को काटकर अलग करें।
- पौधे के आसपास की सफाई बनाए रखें।
- फसल के बीच में पर्याप्त जगह रखें ताकि हवा का संचार बना रहे।
7. पत्तियों का सूखना और झड़ना
- पौधे को पर्याप्त पानी और पोषक तत्व दें।
- गमले को ऐसी जगह रखें जहाँ पौधा सीधी तेज धूप से बच सके।
8. मोल्ड
- गमले में अच्छी जलनिकासी की व्यवस्था करें।
- अधिक पानी न दें और पौधे को धूप में रखें।
- नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक और फंगीसाइड है। इसे पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
- कीड़ों के आक्रमण से बचने के लिए साबुन और पानी का घोल पत्तियों पर स्प्रे करें।
- पौधे को ऐसी जगह रखें जहाँ हवा का संचार अच्छा हो।
क्या तुलसी का पौधा दान में देना चाहिए
हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना गया है। शास्त्रों में इन्हें माता लक्ष्मी का स्वरूप बताया गया है। तुलसी का पौधा दान देना पुण्य के समान माना गया है। लेकिन इसे दान करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि तुलसी का दान करते समय या दान लेते समय तन और मन की स्वच्छता होना आवश्यक है। और हो सके तो तुलसी के पौधे को दिन में ही दान करे। क्योंकि सूर्यास्त के बाद तुलसी के पौधे को छूने से वर्जित किया जाता है ऐसे में इस पौधे का दान दिन में ही करें।