भारत के 10 सबसे प्राचीन मंदिर

ये है भारत के प्राचीन मंदिर जिनका वर्षों पुराना है इतिहास

यदि आप संस्कृति और आध्यात्मिकता को एक साथ देखना चाहते है तो भारत के प्राचीन मंदिर की ओर रुख जरूर करें। ये मंदिर केवल आस्था का केंद्र ही नहीं है, बल्कि अपनी वास्तुकला भी प्रसिद्ध है। जो इन्हें भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा बनाती है।

इन प्राचीन मंदिरों की नक्काशी, शिल्पकला और वास्तुशिल्प भारतीय संस्कृति, कला और आध्यात्मिकता का उत्कृष्ट मिश्रण है। जब आप इन मंदिरों की भव्यता का दीदार करेंगे, तो आपको भारत के अद्वितीय धरोहर का अहसास होगा।

दुनिया के हर कोने से श्रद्धालु और पर्यटक इन मंदिरों की अलौकिक सुंदरता और आध्यात्मिक शांति का अनुभव लेने के लिए आते हैं।आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे ही ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में बताने जा रहे है। 

भारत के दस सबसे प्राचीन मंदिर

1. बृहदेश्वर मंदिर, तमिलनाडु

तमिलनाडु के तंजौर में स्थित बृहदेश्वर मंदिर द्रविड़ शैली पर आधारित है । यह मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर की स्थापना चोल शासक राजाराज चोल प्रथम ने सन् 1002 ईस्वी में करी थी। इस मंदिर की ऊंचाई करीब 66 मीटर है जोकि अपने समय में सबसे विशाल संरचनाओं में से एक था।

इसकी भव्यता देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ आते है। यह मंदिर न केवल अपने शिल्पकला के लिए तो प्रसिद्ध ही है । इस के साथ – साथ यह भारत के समृद्ध इतिहास की गाथा भी कहता है।

2. चेन्नाकेशव मंदिर, कर्नाटक

कर्नाटक के बैलूर में यगाची नदी के किनारे स्थित चेन्नाकेशव मंदिर द्रविड़ शैली पर आधारित मंदिर है । इसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है।

इस मंदिर की वास्तुकला भारत के अन्य प्रसिद्ध प्राचीन मंदिरों से काफी मिलती जुलती है। इस मंदिर का निर्माण विजयनगर के शासकों द्वारा सन 1117 ई में किया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा मान्यता प्राप्त यह मंदिर अपनी भव्यता और शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है।

3. दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान

माउंट आबू में स्थित दिलवाड़ा मंदिर पांच भव्य मंदिरों का एक समूह है। यह मंदिरों का समूह जैन धर्म के चार अलग अलग गुरुओं को समर्पित है। यह गुरु है ऋषभनाथ, नेमिनाथ जिन्हें अरिष्टनेमि के नाम से भी जाना जाता है, पार्श्वनाथः और महावी। इनका निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था।

सफेद संगमरमर से निर्मित इस मंदिर में 48 स्तंभ हैं। जिन पर नृत्य करती देवांगनाओं की आकृतियां उकेरी गई हैं। इस मंदिर की नक्काशी बेहद बारीक और आकर्षक है। यह भारत के मारू-गुर्जरात वास्तुकला या सोलंकी शैली की शैली में सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। 

4. द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात

भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर गुजरात के द्वारका शहर में स्थित है। इस मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी कहा जाता है।इसके अलावा हिन्दू धर्म में होने वाली चार धाम यात्रा में भी यह मंदिर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।।

यह मंदिर लगभग 2500 साल पुराना माना जाता है और इसकी पांच मंजिला संरचना में 72 स्तंभ हैं। गुजरात में स्थित इस मंदिर का उल्लेख पुरातात्विक इतिहास में भी मिलता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी प्राचीनता और विशालता भी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करती है।

5. श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, तमिलनाडु

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित श्री रंगनाथस्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर की स्थापना 10 वीं से 11वीं शताब्दी के बीच हुई। भारत के प्राचीन मंदिर के तर्ज पर निर्मित यह मंदिर काफी बड़ा है।

यह करीब 156 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी दिव्यता और भव्यता इसे दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में स्थान दिलाती है, और यह 108 दिव्य मंदिरों में भी शामिल है।

6. सोमनाथ मंदिर, गुजरात

सोमनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसकी स्थापना 7वीं शताब्दी में की गई थी और इसे चंद्रदेव ने बनवाया था। इस मंदिर का कई बार विध्वंस हुआ, लेकिन इसके बावजूद इसकी भव्यता और धार्मिक महत्व अटूट बना रहा। ऋग्वेद में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है

7. ब्रह्मा मंदिर, राजस्थान

भारत के प्राचीन मंदिर में राजस्थान के पुष्कर में स्थित ब्रह्मा मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। इसकी संरचना 14वीं शताब्दी की मानी जाती है, लेकिन इसे करीब 2000 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर में भगवान ब्रह्मा और उनकी पत्नी गायत्री की मूर्तियाँ स्थापित हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु इस मंदिर की यात्रा करते हैं और यहां होने वाले वार्षिक मेलों में भाग लेते हैं।

8. लिंगराज मंदिर, ओडिशा

भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर भगवान शिव के एक रूप हरिहारा को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजा जजति केशरि द्वारा करवाया गया था। इसकी भव्य और आकर्षक शिल्पकला इसे भारत के प्राचीन मंदिर के रूप में पहचान देती है। जिसे देखने के लिए लोग दूर – दूर से आते है।

9. कैलाश मंदिर, महाराष्ट्र

एलोरा की गुफाओं में स्थित कैलाश मंदिर दो मंजिला और पूरी तरह से एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया है। राष्ट्रकूट वंश के शासकों ने इसका निर्माण करवाया था, जो लगभग 150 वर्षों तक चला और इसमें 7000 मजदूरों ने काम किया। यह प्राचीन भारतीय शिल्पकला का एक अद्भुत उदाहरण है और दुनिया की सबसे बड़ी एकल पत्थर से बनी संरचनाओं में से एक है। इसकी महिमा और कलात्मकता विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित करती है।

10. महाबलीपुरम का रथ मंदिर, तमिलनाडु

भारत के प्राचीन मंदिर में महाबलीपुरम का रथ मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है, इस मंदिर को पंच रथ के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थल 7वीं शताब्दी के दौरान पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन प्रथम (राजा महेंद्रवर्मन के पुत्र) के शासनकाल में निर्मित हुआ था। रथ मंदिर महाभारत के पात्रों के नाम पर आधारित हैं, जिनमें द्रौपदी, अर्जुन, भीम, धर्मराज, और नकुल-सहदेव के रथ शामिल हैं।

FAQ

भारत के प्राचीन मंदिरों में किस प्रकार की वास्तुकला दर्शायी गयी हैं?

इन मंदिरो में द्रविड़ शैली (जैसे बृहदेश्वर मंदिर), नागर शैली (जैसे सोमनाथ मंदिर), और जैन शैली (जैसे दिलवाड़ा मंदिर) की विशेषताएँ शामिल हैं। इन मंदिरों की नक्काशी, मूर्तिकला, और भव्य संरचना प्राचीन भारतीय कला और संस्कृति का अनोखा उदाहरण हैं।

कौन से प्राचीन मंदिर विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित हैं?

भगवान शिव को समर्पित कई प्राचीन मंदिर भारत में स्थित हैं। इनमें से बृहदेश्वर मंदिर (तमिलनाडु), सोमनाथ मंदिर (गुजरात) और लिंगराज मंदिर (ओडिशा) प्रमुख हैं। ये मंदिर भगवान शिव के विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं और अपनी भव्यता, नक्काशी और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।

भारत के प्राचीन मंदिरों का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व क्या है?

भारत के प्राचीन मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। ये मंदिर सदियों पुराने हैं और भारतीय इतिहास के विभिन्न कालखंडों की समृद्धि और भव्यता का प्रमाण हैं। इनका उल्लेख प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और पुरातात्विक इतिहास में भी मिलता है, जो इनकी महत्ता को दर्शाता है।

निष्कर्ष

भारत के प्राचीन मंदिर न केवल धार्मिक आस्था और आध्यात्मिकता के प्रतीक हैं, बल्कि ये देश की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के भी जीवंत उदाहरण हैं। इन मंदिरों की भव्य वास्तुकला, बारीक नक्काशी, और प्राचीन शिल्पकला अतीत की समृद्धि को दर्शाती है, जो आज भी लोगों को मंत्रमुग्ध करती है। हर मंदिर की अपनी एक अनूठी कहानी है, जो सदियों पुरानी परंपराओं, राजवंशों, और सांस्कृतिक धरोहरों से जुड़ी हुई है। ऐसी ही रोचक जानकारियों को पढ़ने के लिए इस वेबसाइट को विजिट करते रहे। 

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