शारदीय नवरात्रि घटस्थापना विधि महत्व एवं शुभ मुहूर्त
नवरात्रि सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो माता दुर्गा को समर्पित होता है। यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है, जिसमें माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि, जो अश्विन महीने में आती है, शरद ऋतु के आगमन पर मनाई जाती है। इसे देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्रि, के दौरान मंदिरों, घरों और पूजा पंडालों में मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना होती है। कई लोग अखंड ज्योत जलाते हैं और कलश स्थापना को शुभ मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में विधि-विधान से माँ दुर्गा की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है, साथ ही दुखों का अंत होता है।
नवरात्रि का इतिहास भी खास है। मान्यता है कि भगवान राम ने इसी समय देवी शक्ति की उपासना कर रावण का वध किया था। इसी कारण नवरात्रि के अंत में दशहरा या विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्रि का महत्त्व
शारदीय नवरात्रि को महानवरात्रि या अश्विन नवरात्रि भी कहा जाता है। इस त्योहार का धार्मिक और पौराणिक महत्व बहुत गहरा है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम ने नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा की उपासना की थी। इसके बाद उन्होंने रावण का वध कर माता सीता को बचाया था। इसलिए, विजयादशमी या दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, मां दुर्गा ने नौ दिनों तक राक्षस महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसे पराजित किया। इसीलिए, भक्त नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस समय विधि-विधान से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
शारदीय नवरात्रि 2024 में घटस्थापना
शारदीय नवरात्र में घटस्थापना का अनुष्ठान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है। साल 2024 में, घटस्थापना मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 06:19 बजे से दोपहर 07:23 बजे तक रहेगा। घटस्थापना हमेशा प्रतिपदा तिथि पर की जाती है।
घटस्थापना विधि
- घटस्थापना मुहूर्त में देवी दुर्गा की आराधना के लिए सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर की सफाई करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
- पूजा स्थल पर चौकी लगाएँ और माता की प्रतिमा स्थापित करें।
- उत्तर-पूर्व दिशा में कलश स्थापना करें। जौ बोएं और कलश में जल, गंगाजल डालें।
- कलश पर कलावा बांधकर उसमें दूब, सुपारी और अक्षत डालें। नारियल रखें।
- विधि-विधान से माँ दुर्गा की पूजा करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
पूजा सामग्री
- Maa durga ki मूर्ति या चित्र
- जल से भरा कलश
- पंचपल्लव (5 पत्ते)
- रोली, कुमकुम, हल्दी
- अक्षत (चावल)
- सिन्दूर
- फूल (गेंदे के फूल और माला)
- धूप, दीपक, घी और रूई की बत्ती
- नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल)
- चंदन
- सुपारी, पान, लौंग, इलायची
- दूर्वा, बेलपत्र
- साड़ी या वस्त्र (माँ को अर्पित करने के लिए)
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- दक्षिणा (सिक्के या पैसे)
नवरात्रि के नौ स्वरूपों की पूजा
तारीख | नवरात्रि का दिन | तिथि | अनुष्ठान | |
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3 अक्टूबर 2024 | गुरुवार नवरात्रि दिन 1 | प्रतिपदा | मां शैलपुत्री की पूजा | घटस्थापना |
4 अक्टूबर 2024 | शुक्रवार नवरात्रि दिन 2 | द्वितीया | मां ब्रह्मचारिणी की पूजा | |
5 अक्टूबर 2024 | शनिवार नवरात्रि दिन 3 | तृतीया | मां चंद्रघंटा की पूजा | |
6 अक्टूबर 2024 | रविवार नवरात्रि दिन 4 | तृतीया | मां चंद्रघंटा की पूजा | |
7 अक्टूबर 2024 | सोमवार नवरात्रि दिन 5 | चतुर्थी | मां कूष्माण्डा की पूजा | |
8 अक्टूबर 2024 | मंगलवार नवरात्रि दिन 6 | पंचमी | मां स्कंदमाता की पूजा | |
9 अक्टूबर 2024 | बुधवार नवरात्रि दिन 7 | षष्ठी | मां कात्यायनी की पूजा | |
10 अक्टूबर 2024 | गुरुवार नवरात्रि दिन 8 | सप्तमी | मां कालरात्रि की पूजा | |
11 अक्टूबर 2024 | शुक्रवार नवरात्रि दिन 9 | अष्टमी | माँ महागौरी की पूजा | दुर्गा महा अष्टमी पूजा |
12 अक्टूबर 2024 | शनिवार नवरात्रि दिन 10 | नवमी | माँ सिद्धिदात्री की पूजा | नवरात्रि पारणा विजय दशमी |
13 अक्टूबर 2024 | रविवार नवरात्रि दिन 11 | दशमी | दुर्गा विसर्जन |
माँ दुर्गा पूजन विधि
नवरात्रि या किसी विशेष अवसर पर Maa Durga की पूजा का पालन इस प्रकार से करें।
- स्नान और शुद्धिकरण:सबसे पहले प्रातः स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
- कलश स्थापना:पूजा स्थल पर एक साफ आसन बिछाएँ और माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। उसके पास जल से भरा हुआ कलश रखें, जिसमें पंचपल्लव और नारियल रखा हो।
- संकल्प लें: Maa Durga ki पूजा करने का संकल्प लें और उनका ध्यान करें। पूजा को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने की प्रार्थना करें।
- माँ दुर्गा का आह्वान करें:दीपक जलाकर माँ दुर्गा का आह्वान करें। उन्हें रोली, कुमकुम, सिन्दूर, हल्दी, और अक्षत चढ़ाएँ। माँ दुर्गा को वस्त्र (साड़ी), चंदन, और आभूषण अर्पित करें।
- पूजा सामग्रियों का अर्पण: माँ दुर्गा को फूल, माला, धूप, और दीपक अर्पित करेंऔर नैवेद्य के रूप में मिठाई, फल, और पंचामृत चढ़ाएँ। साथ ही सुपारी, पान, और बेलपत्र अर्पित करें।
- मंत्र जप करें: Durga Saptashati या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इसके अलावा, माँ दुर्गा के मंत्रों का जप करें, जैसे:“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार किया जा सकता है।
- आरती करें: Maa Durga की आरती करें। धूप और दीप जलाकर आरती गाएँ।आरती के बाद, सभी को आरती दिखाएं और प्रसाद वितरित करें।
- भोग अर्पण और प्रसाद वितरण:पूजा के बाद माँ दुर्गा को भोग अर्पित करें। भोग में दूध, मिठाई, नारियल, और फल चढ़ाएँ। पूजा समाप्त होने पर प्रसाद को सभी में वितरित करें।
- परिक्रमा करें: Maa Durga माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र की परिक्रमा करें और अंत में उनसे अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।
माँ दुर्गा को लगाएं इन चीजों का भोग
हलवा-पूरी
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसलिए आप घट स्थापना के दौरान मां दुर्गा को गाय के घी से बना हुआ हलवा का भोग लगाएं। आपको बता दें कि, माता को हलवा पूरी बहुत पसंद है।
रबड़ी या मावे के लड्डू का भोग
आप नवरात्रि के पहले दिन माता को रबड़ी का भोग लगा सकते हैं। यह भी माता की प्रिय है। साथ ही आप चाहें तो लड्डू का भोग लगाकर भी माता को प्रसन्न कर सकते हैं।
अगर आप शारदीय नवरात्रि के दौरान श्रद्धा और नियमों के साथ माँ दुर्गा की उपासना करते हैं, तो निश्चित रूप से आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा। माना जाता है कि नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनती हैं और उनके सभी कष्टों का निवारण करती हैं।
इसलिए, आइए इस पावन पर्व को अपने परिवार के साथ मिलकर मनाएँ और मां दुर्गा से सभी के सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।