दीपावली का संबंध भगवान राम से है, फिर क्यों करते हैं गणेश - लक्ष्मी जी की पूजा?
दीपावली प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने 14 वर्ष का कठोर वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापस लौटे थे।और उनके आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने पूरी नगरी को दीपों से सजा दिया था। तभी से दीपावली प्रथा चली आ रही है।
लेकिन सोचने वाली बात यह है कि फिर इस दिन हम लोग माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा क्यों करते हैं? आप भी सोच में पड़ गए? यदि हाँ तो आइये इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी ज्ञात करने लिए कुछ हिन्दू पौराणिक कथाओं का अध्ययन करते है।
इस दिन क्यों होती है माता लक्ष्मी की पूजा?
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, एक बार माता लक्ष्मी देवी इन्द्राणी से मिलने इंद्रलोक पहुंच गयी। और कुछ समय के लिए वहीं रुकने का निर्णय किया। उनके वहाँ पहुंचने से इंद्र लोक के समस्त देवता गण शक्तिशाली हो गए। जिससे देवताओं को इस बात का घमंड हो गया कि ब्रम्हांड में अब उन्हें कोई भी पराजित नहीं कर सकता।
उसी समय इंद्र भगवान अपने ऐरावत हाथी पर सवार होकर भ्रमण कर रहे थे। तभी रास्ते में दुर्वासा ऋषि ने इंद्र को देखा। ऋषि दुर्वासा ने इंद्र की शक्तियों से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी माला पहनना चाहा। लेकिन वह माला इंद्र द्वारा संभाला न जा सका। जिस कारण माला जमीन में गिर गया। इस घटना से ऋषि दुर्वासा ने खुद को अपमानित समझा और इंद्र को यह श्राप दिया “ कि जिस शक्ति के कारण तुम इतना अभिमान कर रहे हो वह उसी क्षण पाताल लोक में चली जाये।
इस श्राप के कारण माता लक्ष्मी पाताल लोक चली गयी और इंद्र के साथ सभी देवता शक्तिहीन हो गए। दानवों ने इस बात का फायदा उठाते हुए इंद्रलोक पर कब्ज़ा कर लिया। जिसको वापस पाने के लिए इंद्र ने भगवान नारायण की मदद से समुद्र मंथन कराया।
हिन्दू पुराणों के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी के दिन समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरी निकले। इसलिए इस दिन धनतेरस मनाया जाता है। और कार्तिक मास की अमावस्या को इसी मंथन से माता लक्ष्मी जी बाहर आयी। जिसे दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा।
लक्ष्मी - पूजन में गणेश जी की प्रतिमा क्यों आवश्यक
माता लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्या के देवी कहा जाता है। धन और ऐश्वर्या की अधिकता से व्यक्ति में अहंकार का भाव जागृत होने लगता है। जिसके चलते व्यक्ति धन को संभाल नहीं पाता। इसे साधने के लिए व्यक्ति को बुद्धि और समझदारी की आवश्यकता होती है।
चूँकि बुद्धि के देवता भगवान गणेश है। और जहाँ गणपति वास करते है वहाँ आने वाली समस्त बाधाएँ स्वतः टल जाती है। इसलिए दीपावली के दिन गणेश – लक्ष्मी पूजन किया जाता है।
लक्ष्मी जी का स्थान गणेश जी के दायीं ओर ही क्यों ?
माता लक्ष्मी संतान न होने के कारण काफी चिंतित रहती थी। इसलिए उन्होंने भगवान गणेश को अपना दत्तक पुत्र माना। पुत्र के साथ माता को दायीं ओर बैठना चाहिए। जबकि पति के साथ पत्नी बायीं ओर होती है। इसलिए लक्ष्मी गणेश पूजा के दौरन लक्ष्मी जी को गणपति के दायी ओर बैठाया जाता है।
माता लक्ष्मी जी ने गणेश को वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा नहीं करेगा। लक्ष्मी उसके पास कभी नहीं रहेगी। इसलिए लक्ष्मी पूजन में गणेश जी की पूजा करने का विधान बताया गया है।
दीपावली में खील बताशे का भोग
दिवाली पर लक्ष्मी गणेश की पूजा में खील बताशे बहुत महत्वपूर्ण होते है। इसके बिना आपकी पूजा अधूरी मानी जाती है। कहा जाता है कि दीवाली में खील बताशे का भोग लगाने और इसका प्रसाद बाँटने से घर में धन आगमन और खुशहाली बढ़ती है। और माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
वस्तुतः दीप पर्व पर जिस सुख समृद्धि की कामना की जाती है। वह लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कुबेर के साथ होने पर ही सम्भव है।
FAQ
समुद्र मंथन के दौरान अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इसलिए उनकी पूजा से धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
गणेश जी बुद्धि के देवता हैं और उनकी पूजा से सभी कार्य शुभ होते हैं और लक्ष्मी स्थायी रूप से रहती हैं।
लक्ष्मी जी गणेश को अपना दत्तक पुत्र मानती हैं, इसलिए माँ का स्थान पुत्र के दायीं ओर होता है।
निष्कर्ष
दीपावली केवल दीपों का त्योहार नहीं, बल्कि सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का पर्व है। इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है, जो धन, बुद्धि, और सौभाग्य का संतुलन बनाए रखने में सहायक है। लक्ष्मी पूजन से धन का लाभ होता है, जबकि गणेश जी की उपस्थिति उस संपत्ति को सद्गुण और विवेक के साथ संभालने में मदद करती है। इस प्रकार, दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन हमारी परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं की महत्वपूर्ण कड़ी है, जो खुशहाली और समृद्धि का आशीर्वाद देती है। उम्मीद करते है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी।