कैलाश मानसरोवर एक आत्मा को छू लेने वाली यात्रा

कैलाश पर्वत - दिव्यता, रहस्यों और आत्मा को छू लेने वाली यात्रा

क्या आपने कभी उस स्थान की कल्पना की है जहाँ धरती और स्वर्ग का मिलन होता है? जहाँ प्रकृति की गोद में दिव्यता हर श्वास के साथ महसूस होती है। जहाँ समय जैसे थम जाता है, और हर कण से शांति, भक्ति और रहस्य झरते हैं। ऐसा ही एक पवित्र स्थल है कैलाश पर्वत, जिसे न केवल हिंदू धर्म में बल्कि बौद्ध, जैन और बोन परंपराओं में भी अद्वितीय श्रद्धा का स्थान प्राप्त है।

यहाँ हर पत्थर, हर धारा, और हर बर्फ की चादर एक कहानी कहती है—धर्म, आस्था, और मानवता की। इस लेख में, हम आपको कैलाश पर्वत की इस अद्भुत यात्रा पर ले चलेंगे, जहाँ भक्ति और प्रकृति के संगम से आत्मा को नई ऊर्जा मिलती है। आइए, जानें क्यों इस अलौकिक पर्वत को “धरती का केंद्र” कहा जाता है और क्यों हर यात्री इसे अपने जीवन में एक बार अनुभव करना चाहता है।

कैलाश पर्वत, जो हिमालय पर्वत की श्रृंखलाओं में स्थित है इस स्थान को केवल एक भौगोलिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अनमोल धरोहर माना जाता है। इसे भगवान शिव का निवास स्थान भी कहा जाता है। जहाँ वे अपनी तपस्या में लीन रहते हैं। यह पर्वत सिर्फ एक पवित्र स्थल ही नहीं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए मोक्ष का मार्ग भी है। 

यहाँ की यात्रा व्यक्ति को भक्तिमय कर देती है। इस पर्वत पर स्थित मानसरोवर झील के जल को अमृत के समान माना गया है। कैलाश और मानसरोवर की यात्रा को जीवन का परम सौभाग्य माना जाता है। आइये इस लेख के माध्यम से कैलाश पर्वत और मानसरोवर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करते है।

कैलाश पर्वत और मानसरोवर के बारे में

धार्मिक मान्यता और इतिहास

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कैलाश मानसरोवर के पास कुबेर की नगरी है। यही से भगवान विष्णु के करकमलों से निकल कर गंगा कैलाश की चोटी पर गिरती है। जहाँ, भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओ में समाहित कर धरती पर स्वच्छ धारा के रूप में प्रवाहित किया है, इस पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यु लोक है। शिव पुराण, स्कन्द पुराण, मत्स्य पुराण, आदि में कैलाश खंड नाम से इसकी महिमा का गुण गान किया गया है।

कैलाश पर्वत का दृश्य

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार कैलाश पर्वत पर साक्षात् भगवान शंकर विराजमान है। इस पर्वत पर अनेक प्रकार के दुर्लभ वृक्ष पाए जाते है, पर्वतों से घिरा एक सुन्दर सरोवर है जिसे मानसरोवर के नाम से जाना जाता है। पुराणों में इसे ही छीर सागर का नाम दिया गया है। 

छीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर स्थित है, ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी इसी सागर में शेष शैया पर विराजित होकर संसार को संचालित करते है। 

कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्वी भाग को क्रिस्टल, पश्चिम भाग को रूबी और उत्तरी भाग को स्वर्ण के रूप में माना जाता है।

इस पर्वत पर अनेक कल्प वृक्ष लगे हुए है। बौद्ध धर्मवालियों के अनुसार इसके केंद्र में एक वृक्ष है जिसके फलो में चिकत्सीय गन मौजूद है, जो सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम है।

विभिन्न धर्मो के लिए आस्था का केंद्र

बौद्ध धर्म वालों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। यह भी कहा जाता है कि भगवान बुद्ध की माता ने यहाँ की यात्रा की थी। 

जैनियों के अनुसार, “ यह स्थान उनके गुरु आदिनाथ ऋषभदेव का यह निर्वाण स्थल ( अष्टपद ) भी है। 

हिंदू धर्म के अनुसार कैलाश पर्वत को मेरु पर्वत माना गया है जोकि ब्रम्हांड की धूरी है और भगवान का मुख्य निवास स्थान है। यहाँ देवी सती के शरीर का दांया हाथ गिरा था। यह शक्ति पीठ भी है। 

कुछ लोगों का मानना यह भी है कि गुरुनानक ने भी यहाँ कुछ दिन रुक कर ध्यान किया था। इसलिए सिखों के लिए भी यह पवित्र स्थान है। इसे एक्सिस मुंडी भी कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया नाभि या आकाशीय ध्रुव का भौगोलिक केंद्र है। यह आकाश और पृथ्वी के बीच सम्बन्ध का एक बिंदु है।

रशिया के वैज्ञानिकों के अनुसार यहाँ अलौकिक शक्तियों का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते है।

कैलाश पर्वत पर अनोखे चमत्कार

यहाँ स्थित मानसरोवर झील के आस पास ध्यान से सुनने पर डमरू या (ॐ) की ध्वनि सुनाई देती है। दावा किया जाता है कि कई बार इस पर्वत पर सात तरह की लाइटें आसमान में चमकतीं हुई दिखाई दी है। यह यहाँ के चुम्बकीय बल के कारण होता है। यहां का चुम्बकीय बल आसमान में मिलकर कई बार इस तरह की चीजों के निर्माण कर सकता है। इसके अलावा इस पर्वत पर कई और भी चमत्कार देखे गए है जोकि इस प्रकार है। 

  • लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत दिन में कई बार अपना रंग बदलता है। प्रातःकाल हल्का सुनहरा, दोपहर में सफ़ेद जबकि शाम में इसका रंग गुलाबी हो जाता है। 
  • इस पर्वत के चारों और बादल परिक्रमा करते हुए प्रतीत होते है। 
  • कुछ लोगों ने यहाँ समय को ठहरते हुए महसूस किया है, जोकि किसी चमत्कार से कम नहीं है। 

प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल

कैलाश पर्वत की चार ओर से चार नदियाँ हुई है। ब्रम्हपुत्र, सिंधु, सतलज और कर्णाली। इन नदियों से ही गंगा सरस्वती, सहित चीन की अन्य नदियां भी निकलती है। कैलाश की चारों दिशाओं में विभिन्न जानवरों के मुख है। जिनसे ये नदियाँ निकलती है – पूर्व में अश्व मुख है, पश्चिम में हाथी का मुख है, उत्तर में सिंह का मुख है, दक्षिण में मोर का मुख है। 

वैज्ञानिकों का दावा है कि हिमालय के बर्फीले इलाके में हिम मानव मौजूद है। और यहां आस पास दुनिया का सबसे दुर्लभ मृग कस्तूरी मृग है। इस मृग की कस्तूरी बहुत ही सुगन्धित और औषधीय गुणों से युक्त होती है। 

कैलाश पर्वत पर दो मुख सरोवर स्थित है पहला मानसरोवर, जिसका आकार सूर्य का समान है और दुनिया की शुद्ध पानी की झीलों में से एक है जिसका आकार सूर्य के समान है। 

दूसरा सरोवर राक्षस ताल के नाम से जाना जाता है। जिसका आकार चंद्र के समान है। यह खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है। 

यह दोनों झीलें सूर्य और चंद्र को प्रदर्शित करती है।

भारत सरकार द्वारा विभिन्न मार्गों के माध्यम से धार्मिक यात्रा

भारत सरकार कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दो प्रमुख मार्गों का आयोजन करती है, जिनसे तीर्थयात्री इस पवित्र स्थल तक पहुँच सकते हैं:

  1. लिपुलेख दर्रे के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा (उत्तराखंड):
    यह यात्रा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) द्वारा आयोजित की जाती है। इस मार्ग पर यात्रा करने के लिए 60 व्यक्तियों के 18 समूहों को अनुमति दी जाती है। यात्रा की शुरुआत दिल्ली से होती है और इसे पूरा करने में लगभग 15 से 20 दिन का समय लगता है। लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड, नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित है, जो इस यात्रा को और भी रोमांचक बनाता है।

  2. नाथुला दर्रे के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा (उत्तराखंड):
    नाथुला दर्रे से होकर कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत सरकार द्वारा सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) के सहयोग से आयोजित की जाती है। इस मार्ग में 15 समूह होते हैं, प्रत्येक समूह में 50 लोग होते हैं। यात्रा की अवधि लगभग 21 दिन है और यह तिब्बत और सिक्किम के बीच स्थित नाथुला दर्रे से होकर जाती है, जो इस यात्रा को एक अलग अनुभव बनाता है।


कैलाश मानसरोवर यात्रा नेपाल मार्ग से:

  1. सड़क मार्ग से ओवरलैंड रूट (काठमांडू से बस द्वारा):
    यह सबसे किफायती और सुविधाजनक मार्ग है, जिसमें यात्रा काठमांडू से बस द्वारा की जाती है। यात्रा की अवधि केवल 14 दिन है और इसमें काठमांडू के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन भी शामिल होते हैं। यात्रा क्यारोंग सीमा से तिब्बत में प्रवेश करते हुए कैलाश मानसरोवर तक पहुँचती है।

  2. हेलीकॉप्टर मार्ग: कैलाश मानसरोवर यात्रा हेलीकॉप्टर के माध्यम से भी की जा सकती है, जो तीर्थयात्रियों को आरामदायक और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव देती है।

    • लखनऊ से हेलीकॉप्टर द्वारा यात्रा:
      लखनऊ से हेलीकॉप्टर यात्रा 11 दिन की होती है, जिसमें नेपालगंज एयरपोर्ट से फ्लाइट शुरू होती है। यात्रा नेपालगंज से सिमिकोट, हिलसा और पुरंग तक होती है, जहाँ से दारचेन तक यात्रा की जाती है। इसमें कैलाश पर्वत की परिक्रमा और अष्टपद दर्शन भी शामिल होते हैं।

    • काठमांडू से हेलीकॉप्टर द्वारा यात्रा:
      काठमांडू से यात्रा शुरू होती है, जिसमें काठमांडू से नेपालगंज तक की फ्लाइट ली जाती है। फिर तीर्थयात्री नेपालगंज में लखनऊ समूह में शामिल होते हैं। काठमांडू और नेपालगंज के बीच की फ्लाइट यात्रा के खर्च को थोड़ा बढ़ा सकती है, लेकिन यह एक सुविधाजनक विकल्प है।

    • 5 दिनों में हेलीकॉप्टर यात्रा:
      यह यात्रा सबसे छोटी है, जो केवल 5 दिनों में पूरी होती है। इसमें यात्रा का प्रारंभ लखनऊ से होता है और तीर्थयात्री नेपालगंज, सिमिकोट, हिलसा, और पुरंग से होते हुए कैलाश मानसरोवर की यात्रा पूरी करते हैं।


ल्हासा द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा: ल्हासा तिब्बत की राजधानी है और यह कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक लोकप्रिय मार्ग है। यात्रा में नेपालगंज से हिलसा तक एक चार्टर्ड हेलीकॉप्टर यात्रा शामिल होती है। यह 5 दिवसीय यात्रा है, जिसमें काठमांडू हवाई अड्डे से लेकर दारचेन तक की यात्रा होती है। यह मार्ग विशेष रूप से एनआरआई द्वारा पसंद किया जाता है।


लिमी लाप्चा घाटी के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा: यह मार्ग कैलाश पर्वत के सबसे नजदीकी दृश्य प्रस्तुत करता है, और मानसरोवर झील लप्चा घाटी से केवल 7 किमी दूर है। यात्रा नेपालगंज से सिमिकोट के लिए फ्लाइट से शुरू होती है, और फिर कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए कैलाश व्यूपॉइंट तक ड्राइव किया जाता है।


कैलाश मानसरोवर हवाई दर्शन: यह यात्रा कैलाश मानसरोवर का हवाई दर्शन है, जो तीर्थयात्रियों को कैलाश पर्वत के शानदार हवाई दृश्य का अनुभव कराती है। यह यात्रा सिर्फ 3 दिनों में पूरी होती है और नेपालगंज से चार्टर्ड फ्लाइट द्वारा कैलाश पर्वत के दृश्य देखे जाते हैं। यह सबसे बजट-अनुकूल मार्ग विकल्प है।

महत्वपूर्ण विवरण

  1. मुख्य आकर्षण: कैलाश मानसरोवर यात्रा का सबसे प्रमुख आकर्षण है कैलाश पर्वत की परिक्रमा और उसके चरणों का स्पर्श करना। साथ ही, मानसरोवर झील की परिक्रमा और उसमें पवित्र स्नान का भी विशेष महत्व है। यह धार्मिक यात्रा न केवल आत्मिक शांति देती है, बल्कि एक विशेष अनुभव भी प्रदान करती है।

  2. परिक्रमा के प्रकार: यात्रा के दौरान आप दो प्रकार की परिक्रमा कर सकते हैं – आंतरिक परिक्रमा और बाहरी परिक्रमा। आंतरिक परिक्रमा कठिन होती है और आपको नंदी पर्वत के चारों ओर यात्रा करनी होती है, जबकि बाहरी परिक्रमा कैलाश पर्वत के चारों ओर की जाती है। दोनों ही यात्रा के अनुभव को और भी आध्यात्मिक बना देती हैं।

  3. स्नान का सर्वोत्तम समय: माना जाता है कि मानसरोवर झील में स्नान करने का सर्वोत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 3 से 5 बजे के बीच) है, जिसे देवताओं का समय माना जाता है। इस समय स्नान करने से भक्तों को मानसिक शांति और आंतरिक शुद्धता मिलती है।

  4. पूर्णिमा का महत्व: अधिकांश तीर्थयात्री पूर्णिमा के दिन कैलाश पहुंचना पसंद करते हैं। यह समय विशेष रूप से मायावी होता है क्योंकि इस दिन कैलाश पर्वत की तेजस्वी रौशनी और झील में उसका प्रतिबिंब एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

  5. राक्षस ताल (राक्षस झील): मानसरोवर कैलाश पर्वत की तलहटी में स्थित एकमात्र झील नहीं है। इसके पास राक्षस ताल, या राक्षस झील भी है, जो अपनी विशेषताओं में मानसरोवर की विरोधी है। राक्षस ताल का पानी खारा है, जबकि मानसरोवर का पानी मीठा है। यह झील धार्मिक दृष्टि से अच्छाई और बुराई, प्रकाश और अंधकार, सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के प्रतीक के रूप में मानी जाती है।

  6. शारीरिक तैयारी: इस यात्रा के लिए शारीरिक रूप से फिट होना बेहद जरूरी है। यात्रा की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, यह सुझाव दिया जाता है कि आप यात्रा से पहले शराब और सिगरेट का सेवन कम कर दें, ताकि आपके शरीर को इस कठिन यात्रा का सामना करने में मदद मिले।

  7. कैलाश पर्वत पर विजय: आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत की चोटी तक नहीं पहुंच पाया है, और यह पर्वत एक रहस्य बना हुआ है। यही कारण है कि इसे एक अतुलनीय और पवित्र स्थान माना जाता है।

  8. प्रमुख मठ: कैलाश मानसरोवर क्षेत्र में कई मठ स्थित हैं, जिनमें पांच प्रमुख मठ हैं – चोकू, द्रिरपुक, जुतुलपुक, सेलुंग और ग्यांगहा। ये मठ धार्मिक अनुष्ठान और साधना के प्रमुख केंद्र हैं, जो इस क्षेत्र को और भी पवित्र बनाते हैं।

  9. किंवदंती: किंवदंतियों के अनुसार, कैलाश पर्वत की संरचना कीमती रत्नों से बनी है। इसके चार मुख लापीस लाजुली, माणिक, क्रिस्टल और सोने से बने होने की मान्यता है, जो इसे और भी दिव्य बनाते हैं।

  10. नदीयों का स्रोत: कैलाश मानसरोवर क्षेत्र चार प्रमुख नदियों – गंगा, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और सिंधु का उद्गम स्थल है। मिथकों के अनुसार, ये चार नदियाँ पृथ्वी के केंद्र, यानी कैलाश पर्वत से निकलती हैं और विश्व को चार भागों में विभाजित करती हैं। ये नदियाँ भारतीय उपमहाद्वीप के जीवन का स्रोत मानी जाती हैं।

यात्रा प्रारम्भ कैसे करें ?

कैलाश मानसरोवर से निकट यमद्वार नामक स्थान है जहाँ से कैलाश पर्वत की परिक्रमा शुरू की जाती है। यम द्वार से करीब 12 किमी लम्बे रास्तें तक दोनों तरफ बर्फीले पहाड़ दिखाई देते है। यह सम्पूर्ण यात्रा लगभग 50 किमी की है। जिसे यात्री प्रायः तीन दिनों में पूरा करते है। यह चढाई पर्वतारोही की विशेष तैयारी के बिना संभव नहीं है लेकिन अब हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध है जिससे यह यात्रा आसान हो गयी है। 

यात्रा के दौरान साथ क्या ले जायें ?

यहाँ पर ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो जाती है। कैलाश पर्वत की यात्रा करते समय सिर दर्द, सास लेने में तकलीफ आदि लक्षण दिख सकते है। कई बार यहाँ का तापमान – 2 सेंटीग्रेट तक हो जाता है। इसलिए ऑक्सीजन सिलेंडर साथ होना जरुरी है। यात्रा के दौरान अपने साथ मुँह से बजाने वाली एक सीटी व कपूर की थैली आवश्यक सामग्री, गर्म कपड़े आदि अवश्य रखे। और अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही यात्रा करें। आप चढ़ाई के लिए घोड़े या पिट्ठू की भी मदद ले सकते है। यह यात्रा भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के द्वारा आयोजित की जाती है। 

कुछ अनसुनी बातें

  • कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है।
  • यह पर्वत चार प्रमुख नदियों (सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज, कर्णाली) का स्रोत है।
  • मानसरोवर झील में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
  • सूर्योदय के समय स्वास्तिक का आकार बनता है।
  • पर्वत के पास “ॐ” की ध्वनि सुनाई देती है।
  • यहाँ के वातावरण में एक अद्भुत शांति का अनुभव होता है।
  • कैलाश पर्वत की भौगोलिक स्थिति रहस्यमयी है और इस पर चढ़ाई करना निषिद्ध माना जाता है।

FAQ

कैलाश पर्वत को शिव का निवास क्यों माना जाता है?

इस पर्वत को शिव का निवास इसलिए माना जाता है क्योंकि इसे उनकी तपस्या और ध्यान का प्रमुख केंद्र कहा गया है।

मानसरोवर झील का महत्व क्या है?

इस झील को पवित्रता, शुद्धता और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है, जहाँ स्नान करने से आत्मा का शुद्धिकरण होता है।

कैलाश पर्वत की परिक्रमा क्यों की जाती है?

इस पर्वत की परिक्रमा को पुण्य और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने का मार्ग माना जाता है, जो जीवन के पापों का नाश करती है

निष्कर्ष

कैलाश पर्वत और मानसरोवर केवल भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि कई धर्मो के लिए अध्यात्म का केंद्र है। इस पर्वत पर भगवान शिव का परम धाम स्थित है। यह अपनी रहस्यमयी ऊर्जाओं और दिव्य चमत्कारों के कारण लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। वहीं, मानसरोवर झील की पवित्रता और शांति आत्मा को एक अलौकिक अनुभव कराती है, जिससे जीवन के सभी कष्ट और पापों का नाश होता है। उम्मीद करते है इस लेख दी गयी रोचक जानकारी आपके लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुई होगी।