भाईदूज कथा, महत्व एवं शुभ मुहूर्त
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। यह दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है और इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों की सुरक्षा का वचन देते हैं। आइए, भाई दूज की पूजा विधि, पूजन सामग्री और कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
भाई दूज की शुरुआत कैसे हुई ?
भाई दूज से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा भाई दूज से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की है। कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के दो संतान थी। यम और यमुना।
एक बार अपनी बहन यमुना जी से मिलने के लिए यमराज उनके पास गए। अपने भाई को लम्बे समय के बाद देखकर यमुना जी ख़ुशी से भावुक हो उठी। और उन्होंने यमराज जी को तिलक लगाकर आरती उतारी और स्वादिष्ट भोजन कराया।
यह प्रेम देखकर यमराज ने प्रसन्न होकर अपनी बहन से वर मांगने को कहा। यमुनाजी ने उनसे कहा कि जो व्यक्ति कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्रितीया के दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे लंबी आयु और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी।
भाई दूज पूजा विधि
- स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा की तैयारी करें।
- बहनें अपने भाई को पूजा स्थल पर बैठाकर तिलक करने की तैयारी करें।
- पूजा की थाली में रोली, चावल, दीपक, मिठाई और नारियल रखें।
- सबसे पहले बहनें रोली और अक्षत (चावल) से भाई का तिलक करें।
- इसके बाद भाई की आरती करें और दीपक जलाएँ।
- भाई के दाहिने हाथ पर कलावा (मौली) बांधें।
- इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएँ और नारियल भेंट करें।
- भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है।
- अंत में बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं
भाई दूज पूजन सामग्री
- रोली (चंदन या कुमकुम)
- अक्षत (चावल)
- दीपक और धूप
- मिठाई (खासकर भाई दूज की खास मिठाई)
- नारियल
- मौली (कलावा)
- फल और फूल
- जल का लोटा
- थाली में सजावट के लिए चावल या गेहूं
भाई दूज महत्व
- भाई दूज भाई-बहन के प्रेम, स्नेह, और सुरक्षा का प्रतीक है।
- यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करता है।
- इस दिन तिलक करने से भाई की लंबी आयु और समृद्धि की कामना की जाती है।
- भाई दूज का त्योहार पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करता है और एक-दूसरे के प्रति सम्मान और आदर को बढ़ाता है।
भाईदूज पूजन करने का शुभ मुहूर्त
वर्ष 2024 में भाईदूज पूजन का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर अपराह्न 1 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।